(हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) 50 वर्ष पूर्व छात्र-छात्राओं की मांग आंदोलन पर रेलवे ने उत्तर से दक्षिण दिशा को जोड़ने के लिए कोतवाली तिराहा से चेतना नगर की ओर जाने के लिए पैदल पुल का निर्माण किया था जिससे विद्यालय ,कॉलेज जाने वाले छात्र छात्राओं को सहूलियत मिली थी।लेकिन वह पैदल पुल धीरे धीरे धाराशाही होने लगा और रेलवे ने लोगों की समस्याओं को देखते हुए एक नया पुल बनाने की योजना तैयार की और उसके लिए स्टेशन प्रांगण का क्षेत्र निर्धारित किया।क्योंकि एक पार से दूसरे पार आने जाने वाले लोग प्लेटफार्म का उपयोग कर एक पार से दूसरे पार आते जाते थे और कई बार चेकिंग पर रेलवे प्लेटफार्म पर वाद विवाद की स्थिति निर्मित हो जाती थी।जिसको देखते हुए रेलवे ने स्टेशन प्रांगण का क्षेत्र का चुनाव किया जिससे बिना प्लेटफार्म के लोग एक पार से दूसरे पार आ जा सके।इसके लिए नया पैदल पुल का निर्माण कर उसे आम जनता के लिए हमेशा हमेशा के लिए खोल दिया गया और पुराने पैदल पुल को बंद कर नए पुल से आवागमन चालू होने के बाद धीरे धीरे तमाम आंदोलन के बाद बने पैदल पुल को हमेशा हमेशा के लिए उस स्थान से अलविदा कर दिया गया अब केवल उस स्थान पर यादें ही शेष रह गई।ज्ञातव्य हो कि यह पैदल पुल शॉर्टकट रास्ते के रूप में उपयोग होता था मुख्य बाजार से अनूपपुर बस्ती की ओर जाने के लिए सबसे शॉर्टकट रास्ता था और इस रास्ते में कई व्यवसाई अपना कारोबार जमा लिए थे लेकिन पुल के बंद होने पर उन व्यवसायियों का कारोबार प्रभावित कर दिया।मुख्य बाजार से चेतना नगर को जोड़ने के लिए रेलवे फाटक हमेशा संकट ही पैदा करता था क्योंकि 24 घंटे ट्रेनों की आवाजाही से अधिकांश समय फाटक बंद ही रहता था।जिससे पैदल एवं साइकिल से आने जाने वाले लोग इस पैदल पुल का उपयोग करते थे लेकिन पैदल पुल के अलविदा होते ही उस स्थान पर विरानी सी छा गई।लेकिन नया पुल अब आवागमन का एक मात्र साधन बन गया है इससे निश्चित ही रेलवे स्टेशन पर चेकिंग के दौरान जो वाद विवाद की स्थिति निर्मित होती थी उस पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी और धीरे-धीरे लोगों की आदत में यह नया पुल शुमार हो जाएगा।
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