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अमरकंटक में नर्मदा नदी का अस्तित्व खतरे में जिम्मेदारों की नही टूट रही नींद


(हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंचलधारा) मध्यप्रदेश की जीवन रेखा मां नर्मदा नदी अपने उद्गम स्थल अमरकंटक में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए प्रयास कर रही हैं किंतु अमरकंटक के विकास के नाम पर नर्मदा की सहायक नदियों पर बिना विचारे बड़े बड़े प्रोजेक्टों पर काम जोर-शोर से किया जा रहा है इसी कड़ी में अमरकंटक में मां नर्मदा के तट पर एवम् उनकी सहायक नदियों के तट पर अतिक्रमण किया जा रहा है।जिससे अमरकंटक में नर्मदा नदी के स्रोत पर खतरा मंडराने लगा है।इन दिनों मां नर्मदा की प्रथम सहायक नदी गायत्री के उद्गम वाले पहाड़ पर नगरपरिषद अमरकंटक द्वारा मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग को 7 एकड़ भूमि रेस्ट हाऊस निर्माण के लिए आवंटित की गई।मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा रेस्ट हाऊस का निर्माण कार्य बड़ी तीव्र गति से हो रहा है।  जिससे मां नर्मदा की सहायक नदी के स्रोत के साथ साथ मां नर्मदा के स्रोत को भी क्षति पहुंचेगी।साथ ही पुराने शाल के पेड़ जो लगभग 7 एकड़ भूमि पर हजारों की संख्या में हैं उन्हें काटा जाएगा। प्रति वर्ष ग्रीष्म काल में लगने वाली आग के कारण वर्तमान में शाल के एक भी नए पौधे पैदा हो ही नही पा रहे हैं, इसके अलावा जिस जगह पर मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा रेस्टहाउस का निर्माण कार्य चल रहा है वहां तक पहुंचे के लिए सी सी सड़क का निर्माण भी किया जाएगा।जल की आपूर्ति के लिए बोरिंग होगा इस तरह अमरकंटक के ग्राउंड वाटर को भी प्रभावित किया जाएगा।मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहडोल विभाग, डब्ल्यू आर डी, एनजीटी, वन विभाग इन सभी के हस्तक्षेप की आवश्यकता है।क्योंकि यहां से बहुत अधिक मात्रा में प्रदूषण भी फैलेगा,भूमिगत जल को क्षति पहुंचेगा,पेड़ों को काटा जाएगा कुल मिलाकर जल,जमीन और वायु प्रदूषण होगा।इस प्रोजेक्ट को बंद करने की आवश्यकता है।इसके साथ ही अमरकंटक स्थित सभी आश्रमों का दायरा सीमित करने की भी आवश्यकता है।    क्योंकि वह भी जमीन की बढ़ती हुई मांग के कारण बहुत सारे पुराने शाल के पेड़ों को काटकर अपनी सीमा बढ़ाने में लगे हुए हैं। अमरकंटक मां नर्मदा की उद्गम स्थली है यह लोग मां नर्मदा के जल में स्नान एवं दर्शन के लिए आते हैं। 

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