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झासा देकर बलात्कार करने वाले शासकीय कर्मचारी की अग्रिम जमानत याचिका न्यायालय ने की निरस्त

 

(हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंचलधारा) न्यायालय द्वितीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश कोतमा रविन्द्र कुमार शर्मा के न्यायालय से आरोपी विजय कुमार केवट पिता लल्लू प्रसाद केवट उम्र 21 वर्ष निवासी ग्राम पोडी थाना भालूमाडा की जमानत याचिका निरस्त की गई।
मीडिया प्रभारी राकेश पाण्डेय ने राजगौरव तिवारी एडीपीओ के हवाले से बताया गया कि मामला थाना भालूमाडा के अ.क्र.336/20 की धारा 376,376(2)एन भादवि से संबंधित है फरियादिया अपने बहन के घर घूमने आया करती थी उसी दरम्यान आरोपी भी दिनांक 04/08/2019 को शासकीय अवकाश लेकर अपने घर पोडी आया हुआ था उक्त दिनांक को फरियादिया से मिला और एक दिन कहा कि मैं तुमसे प्यार करता हू और तुमसे विवाह करने चाहता हूॅ वह फरियादिया से शारीरिक संबंध बनाने लगा परंतु फरियादिया राजी नही हुई दिनांक 14/08/2019 की रात्रि को फरियादिया को सूने कमरे में बुलाया और फरियादिया से शारीरिक संबंध बनाने की बात कहने लगा फरियादिया को राजी न होने पर उक्त दिनांक को बलपूर्वक बलात्कार किया और कहा मै तुमसे शादी करूंगा इस तरह कई बार आरोपी विजय किसी न किसी बहाने से फरियादिया की बहन के घर जाकर फरियादिया का बलात्कार करता रहा। जब फरियादिया द्वारा शादी करन की बात कही गयी तो वह मना करने लगा तब फरियादिया थाने मे रिपोर्ट दर्ज करायी जिसे थाना भालूमाडा द्वारा उक्तानुसार अपराध दर्ज कर मामले को विवेचना में लिया गया।
आरोपी ने यह लिया था आधार- आरोपी द्वारा जमानत आवेदन में यह आधार लिया गया था कि आरोपी को झूठा फसाया गया है तथा शासकीय कर्मचारी है एवं फरार होने की संभावना नही है  जमानत की शर्ताे का पालन करने के लिए तैयार है। आरोपी नवयुवक है जेल जाने पर उनका भविष्य प्रभावित होगा इसलिए जमानत का लाभ दिया जाए।
अभियोजन ने इस आधार पर किया था विरोध-उक्त आवेदन पत्र पर अपर लोक अभियोजक  शैलेन्द्र सिंह द्वारा जमानत आवेदन का इस आधार पर विरोध किया गया कि अभियुक्त द्वारा किया गया कृत्य गंभीर प्रकृति का तथा आरोपी को अग्रिम जमानत दिए जाने पर समाज में बुरा संदेश जाएगा आरोपी को जमानत का लाभ दिए जाने पर वह साक्ष्य प्रभावित कर सकता है व फरार हो सकता है। उभयपक्षों के तर्को को सुनने के पश्चात माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्काे से सहमत होते हुए आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका अंतर्गत धारा 438द.प्र.स. निरस्त कर दिया।

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