(हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) न्यायालय द्वितीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश कोतमा रविन्द्र कुमार शर्मा के न्यायालय के स.प्र.क्र 10/18 शासन बनाम श्रवण बगैरह के आरोपी कु.यशोदा सिंह मार्को पिता गोविन्द सिंह मार्को थाना भालूमाडा की जमानत याचिका निरस्त की गई।
मीडिया प्रभारी राकेश पाण्डेय ने राजगौरव तिवारी एडीपीओ के हवाले से बताया गया कि मामला चिन्हित जघन्य एवं सनसनीखेज का है जो थाना भालूमाडा के अ.क्र.178/17 धारा 302,364ए,654,201,34,120बी भादवि से संबंधित है।मृतक दिनांक 29/06/2017 के करीब 10.30 बजे बिना बताए कही चला गया था जिसके संबंध में थाना भालूमाडा में गुम इंसान क्र. 28/17 कायम था।जिसकी जांच के दौरान मृतक के मोबाइल न. से संपर्क करने पर उसका अंतिम लोकेशन ग्राम केशवाही में यशोदा सिंह के कमरे का पाया गया। इस दौरान जांच मैं यह तथ्य सामने आया कि आरोपिया यशोदा ने मृतक को प्रेमजाल में फसाकर अपहरण कर सह अभियुक्त श्रवण के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी है और लाश को जंगल में बरमसिया की झाडी में फेक दिया था जिसे पुलिस के द्वारा आरोपियों की निशादेही पर जब्त किया गया। आरोपीगण को गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था जिसका प्रकरण वर्तमान में माननीय न्यायालय में विचाराधीन है। प्रकरण के विचारण के दौरान आरोपी यशोदा सिंह का जमानत आवेदन पत्र अंतर्गत 439 प्रस्तुत हुआ था।
आरोपी ने यह लिया था आधार- आरोपी द्वारा जमानत आवेदन में यह आधार लिया गया था कि आरोपी को झूठा फसाया गया है आरोपी अपने घर की एक मात्र कर्ता धर्ता है।फरार होने की संभावना नही है जमानत की शर्तों का पालन करने के लिए तैयार है। आरोपी नवयुवती है जेल में रहने पर उनका भविष्य प्रभावित होगा इसलिए जमानत का लाभ दिया जाए।
अभियोजन ने इस आधार पर किया था विरोध- उक्त आवेदन पत्र अपर लोक अभियोजक शैलेन्द्र सिंह द्वारा जमानत आवेदन का इस आधार पर विरोध किया गया कि अपराध में मृतक को प्रेमजाल में फसाकर अपहरण कर सह अभियुक्त के साथ मिलकर उसकी हत्या कारित करने का आरोप विरचित किया गया है, संबंधित धारा 302 भादवि से संबंधित है जो कि आजीवन कारावास से दण्डनीय गंभीर प्रकृति का है। घटना को देखते हुए आरोपी को जमानत दिए जाने पर समाज में बुरा संदेश जाएगा। आरोपी को जमानत का लाभ दिए जाने पर वह साक्ष्य प्रभावित कर सकता है व फरार हो सकता है। उभयपक्षों के तर्को को सुनने के पश्चात माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्कों सहमत होते हुए आरोपी की जमानत याचिका अंतर्गत धारा 439 द.प्र.स. निरस्त कर दिया।
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