Anchadhara

अंचलधारा
!(खबरें छुपाता नही, छापता है)!

कूटरचित दस्तावेज बनाकर शासकीय जमीन को दूसरे के नाम पट्टा बनाने वाले तत्कालीन पटवारी की जमानत याचिका निरस्त

 

(हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)

अनूपपुर। (अंचलधारा) न्यायालय द्वितीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश रविन्द्र कुमार शर्मा के न्यायालय से आरोपी एस.के.सर्राटे उम्र 46 पिता बन्धू निवासी ग्राम पडोर की जमानत याचिका निरस्त की गई।
मीडिया प्रभारी राकेश पाण्डेय ने अभियोजन अधिकारी  राजनगौरव तिवारी के हवाले से बताया की मामला थाना कोतमा के अ.क्र- 340/16 धारा 420, 467, 468, 120बी 34  भादवि से संबंधित है।जिसमें आरोपी द्वारा फर्जी ऋण पुस्तिका व नक्शा  व खसरा की कूटरचना कर अन्य लोगो के साथ षडयंत्र कर शायकीय भूमि जो कि ग्राम लहसुई खसरा क्र 408 की थी जिसे ग्राम कोतमा का दर्शा कर प्राईवेट व्यक्ति के नाम चढा दिया था जिसे गोविंद प्रजापति द्वारा इस मामले के फरियादी प्रमोद जैन को विक्रय कर दिया था।जिसके संबंध में प्रमोद जैन द्वारा परिवाद न्यायालय में दायर किया गया था।तब माननीय न्यायालय द्वारा धारा 156(3) द.प्र.स. के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने हेतु थाना कोतमा को आदेशित किया था जिसके परिपालन में थाना कोतमा में उक्तानुसार अपराध दर्ज कर विवेचना की जा रही थी।जिससे बचने के लिए उक्त आरोपी एस.के.सर्राटे तत्कालीन पटवारी कोतमा द्वारा धारा 438 द.प्र.स. का आवेदन माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में प्रस्तुत किया था जिसमें माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रार्थी के निवेदन पर धारा 438 द.प्र.स. का आवेदन वापस लेने तथा सत्र न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने पर धारा 439 द.प्र.स. का आवेदन प्रस्तुत होने पर शीघ्र निराकरण करने का आदेश एम.सी.आर.सी 28113/20 में पारित किया था।इस बीच आरोपी को गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। 
आरोपी ने जमानत हेतु यह लिया था आधार आरोपी द्वारा जमानत आवेदन में यह आधार लिया गया था कि आरोपी को झूठा फसाया गया है आरोपी अपने घर का एक मात्र कर्ता धर्ता है फरार होने की संभावना नही है शासकीय सेवक है जेल जाने पर उसकी सेवा पर प्रभाव पडेगा जमानत की शर्ताे का पालन करने के लिए तैयार है। आरोपी जेल जाने पर उनका भविष्य प्रभावित होगा इसलिए जमानत का लाभ दिया जाए।
अभियोजन ने इस आधार पर किया था विरोध - उक्त आवेदन पत्र अपर लोक अभियोजक शैलेन्द्र सिंह द्वारा जमानत आवेदन का इस आधार पर विरोध किया गया कि अपराध गंभीर प्रकृति का है व शासकीय भूमि को शासकीय कर्मचारी होते हुए दूसरे किसी प्राइवेट व्यक्ति के नाम चढा देना व उक्त बाबत् षडयंत्र में शामिल होकर कूटरचना जैसा गंभीर अपराध कारित किया गया है। जोकि आजीवन कारावास से दण्डनीय गंभीर प्रकृति का है। आरोपी द्वारा जमानत दिए जाने पर समाज में बुरा संदेश जाएगा आरोपी को जमानत का लाभ दिए जाने पर वह साक्ष्य प्रभावित कर सकता है व फरार हो सकता है। 
उभयपक्षों के तर्को को सुनने के पश्चात माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्का से सहमत होते हुए आरोपी की जमानत याचिका अंतर्गत धारा 439 द.प्र.स. निरस्त कर दिया।
ज्ञात हो कि इसके पूर्व के.पी.सिंह न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी के न्यायालय में आरोपी द्वारा धारा 437 द.प्र.स का आवेदन प्रस्तुत किया गया था जिसमें अभियोजन अधिकारी राज गौरव तिवारी द्वारा उक्तानुसार विरोध किया गया था और उक्त आवेदन भी माननीय न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया था।

Post a Comment

0 Comments