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ट्रेनों की लेटलतीफी से यात्रियों की बुरी फजीहत आने वाले चुनावों में भाजपा को भारी नुकसान का अंदेशा

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) कोरोना वायरस को लोग अब लगभग पूरी तरह से भूल चुके।लेकिन भारतीय जनता पार्टी के राज में कोरोना काल से ट्रेनों में जो ग्रहण लगा वह आज तक लगा हुआ है।भारतीय रेलवे कहने को तो एक है लेकिन इसमें भी संदेह आज भी बना हुआ है।भारतीय जनता पार्टी के राज में मालगाड़ियों को वरीयता की प्रथम श्रेणी में रखा गया है। इसके चलते यात्री ट्रेनों को बीच रास्ते में खड़ा कर दिया जाता है और मालगाड़ियों को एक के पीछे एक धड़ाधड़ गंतव्य की ओर रवाना कर दिया जाता है।गर्मी के माहौल में यात्रियों की बुरी फजीहत ट्रेनों में बैठे बैठे हो जाती है।पीने के पानी के लिए लोग तरस जाते हैं।लेकिन एसी के अंदर बैठे रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगती। जिसका परिणाम है की ट्रेनें कई कई घंटों विलंब से चलती रहती हैं।मेमू ट्रेनों की हालात किसी से छुपी हुई नहीं है।
       आज भी छोटे-छोटे स्टेशनों पर ट्रेनों के स्टॉपेज बहाल नहीं किए गए।जिससे पूरा व्यापार प्रभावित है।लेकिन रेलवे का प्रतिनिधित्व केंद्र में करने वाली सांसद पूरी तरह से चुप्पी साधे हवाई यात्रा,एसी ट्रेन में यात्रा कर अपने कार्यकाल को पूरा कर रही है।अब जनता ऐसी सांसद को चुनना कभी पसंद भी नहीं करेगी।जिस बहुमत से,जिस उम्मीद से सांसद को विजई बनाया गया था वह सांसद लोगों के सपनों में पानी फेरने का काम कर रही है। एक भी ट्रेन का स्टॉपेज वह नहीं करा पाई।अन्य सांसद अन्य क्षेत्र की शहडोल संसदीय क्षेत्र के लिए काफी कुछ कार्य करा कर जनता को सहूलियत दी।लेकिन शहडोल संसदीय क्षेत्र की सांसद केवल पत्राचार तक सीमित रह गई। लेकिन रेल मंत्री ने एक सोची समझी साजिश के तहत अपने सभी सांसदों को वाह वाही लूटने के लिए चुनाव को देखते हुए एक पत्र जारी करते हैं और सांसद के पूर्व पत्रों का हवाला देकर ट्रेनों के स्टॉपेज घोषित करते हैं।जिसे आम जनता अच्छी तरह से समझती है।
       विधानसभा लोकसभा चुनाव काफी नजदीक है और निश्चित ही रेलवे जो सबसे सस्ता आवागमन का साधन है वह लोगों को सुविधा देने में आज भी आनाकानी कर रहा है। अधिकांश छोटे-छोटे स्टेशन के लोगों ने मन बना लिया है की ट्रेन नहीं तो वोट नहीं।जिसका परिणाम भारतीय जनता पार्टी को आने वाले चुनाव में भोगने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।उनके कोई भी जनप्रतिनिधि रेलवे के मामले में फिसड्डी साबित हो रहे हैं।रेलवे द्वारा संचालित 2-2 अंत्योदय ट्रेन पूरी तरह से बंद हो गई।चिरमिरी से चंदिया ट्रेन को स्पेशल बनाकर चिरमिरी से अनूपपुर के मध्य संचालित किया जा रहा है। रीवा-चिरमिरी प्रतिदिन चलने वाली ट्रेन सप्ताह में 3 दिन चल रही है।इसी तरह चिरमिरी-अनूपपुर प्रतिदिन चलने वाली ट्रेन सप्ताह में 3 दिन चल रही है। जिससे रेलवे के राजस्व में भारी नुकसान हो रहा है और यात्रियों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। जिससे रेल मामले को लेकर भाजपा की चारों तरफ बुरी फजीहत हो रही है।लेकिन किसी को इससे कोई लेना-देना नहीं।एक समय था जब ट्रेन राइट टाइम ही नहीं बल्कि बिफोर स्टेशनों पर पहुंच जाती थी।अब वह लोगों के लिए सपना बनकर रह गई।रेलवे केवल मालगाड़ियों पर पूरा ध्यान दे रही है उन्हें यात्री ट्रेनों से कोई लेना-देना नहीं।
     जिसके कारण यात्रियों की चिंता करने वाला कोई नजर नहीं आ रहा।स्पेशल ट्रेन बनाकर कम से कम एक स्टेशन का किराया 30 रुपए निर्धारित है।चाहे आप मेमो ट्रेन में यात्रा करें या एक्सप्रेस में।लेकिन उड़ीसा में जहां से रेल मंत्री राज्यसभा सदस्य हैं वहां पर ट्रेनों का किराया कम से कम मेमो ट्रेन में 10 रुपए है।जबकि एक्सप्रेस ट्रेनों में 30 रुपए है। इतनी बड़ी विसंगति के बाद भी किसी भी नेता ने लोकसभा राज्यसभा में इस बात को नहीं उठाया यह लोगों की समझ से परे है।केवल न्यायालय में बात जाने पर रेलवे के किराए की विसंगति सही हो सकती है।अन्यथा रेलवे की मनमानी सबकी नजरों पर है कोई बोलने वाला नहीं।कोई सुनने वाला नहीं। निश्चित ही विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में भाजपा को रेल मामले को लेकर भारी नुकसान उठाना पड़ेगा इसका अंदेशा भाजपा को भी नहीं है।

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