(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) चिंतक लेखक कवि एवं साहित्यकार गिरीश पटेल ने फ्लाई रेलवे ओवर ब्रिज को बीरबल की खिचड़ी बताया है।उन्होंने कहा कि अनूपपुर का फ्लाई रेलवे ओवर ब्रिज एक अजूबा बन गया है।इंदिरा तिराहे से रेलवे फाटक और रेलवे फाटक से पत्ता गोदाम तक कोई रास्ता रह ही नहीं गया है।
लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व इस ब्रिज का काम प्रारंभ हुआ था जो मंथर गति से अभी भी धीरे-धीरे प्रगति पथ पर अग्रसर है।वास्तव में जिस जगह यह ब्रिज बनाया जा रहा है वहाँ पुल बनाने की अनुकूल परिस्थिति थी ही नहीं किंतु राजनैतिक नेतृत्व की ज़िद के चलते इस पुल का सेंक्सन किया गया और इसका निर्माण प्रारंभ हुआ,पर मानक की ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया गया।शासन,प्रशासन,संबंधित विभाग और ठेकेदार लगता है जैसे सब एक अनाड़ियों का समूह है।कोई भी कार्य व्यवस्थित रूप से नहीं किया जा रहा है।पहले नाली और सर्विस रोड का निर्माण किया जाना चाहिए फिर पुल का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाना चाहिए पर यहाँ तो उल्टी गंगा बह रही है।एकदम से पुल का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया,पूर्व में बनी नालियों और रास्तों को ध्वस्त कर दिया गया।निर्माणाधीन पुल की सीमा में रह रहे परिवारों का जीवन नारकीय हो गया है।
जिला चिकित्सालय के सीवर का दूषित जल पूरे रास्ते में बह रहा है।रास्ता जैसा कुछ रह ही नहीं गया है,कीचड़, मलबा,गंदा पानी,गड्ढा और धूल के बेतरतीब ढेर को रोड कहा जा रहा है।मल-मूत्र से बजबजाता दूषित पानी जूतों और वाहनों के टायरों के माध्यम से घरों के भीतर तक जा रहा है।ऐसे में यहाँ के निवासियों का जीवन दूभर हो गया है और स्वास्थ्य ख़तरे में पड़ गया है।
इस संबंध में नगरपालिका,ज़िला प्रशासन,ब्रिज और रोड निर्माण विभाग तथा ठेकेदार सभी को इस स्थिति से अवगत कराया गया है पर किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
कुल 8-10 आदमी इस पुल का निर्माण कर रहे हैं ऐसे जैसे थूक में सेतुवा साना जा रहा हो।जब से इस पुल का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ तब से धीरे-धीरे करके अनूपपुर का मुख्य बाज़ार ठप हो गया है,दुकानदार मख्खियां भी नहीं मार पा रहे हैं।आज के कबीना मंत्री सम्माननीय रामलाल जी ने आंदोलन कर-करके इस पुल का काम चालू करवाया पर अब वे भी इसकी सुधि नहीं लेते।यह निर्विवादित सत्य है कि अगर इस पुल का प्रस्ताव पास न किया गया होता तो अब तक रेलवे,अंडर ब्रिज बनाकर सौंप देता।ऐसी स्थिति में न तो अनूपपुर के सौन्दर्य को क्षति पहुंचती और न ही लोग हलाकान होते रहते,इससे अनूपपुर के विस्तार में मदद मिलती वो अलग।अभी दो दिन पहले कलेक्टर महोदय ने निर्माणाधीन स्थल का औचक निरीक्षण किया तथा ठेकेदार और इंजीनियर को काफ़ी खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि ‘’लगता है कि आप जीवन में पहली बार पुल बना रहे हैं न तो आपने रोड का काम चालू किया,न नाली बना रहे हैं और न दीवार का काम चालू किया है,जिस काम के लिए 100-150 आदमी कार्यरत होने चाहिए वहॉं मात्र 8-10 आदमी पुल बना रहे हैं।क्या यहाँ कोई मज़ाक़ चल रहा है।नाराज़ होते हुए कलेक्टर महोदय ने इन्हें नोटिस जारी करने की ताकीद की।देखते हैं कि इसका क्या असर होता है।
वैसे बीरबल की खिचड़ी कब तक तैयार होती है यह तो बीरबल से ही पूछना पड़ेगा।
लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व इस ब्रिज का काम प्रारंभ हुआ था जो मंथर गति से अभी भी धीरे-धीरे प्रगति पथ पर अग्रसर है।वास्तव में जिस जगह यह ब्रिज बनाया जा रहा है वहाँ पुल बनाने की अनुकूल परिस्थिति थी ही नहीं किंतु राजनैतिक नेतृत्व की ज़िद के चलते इस पुल का सेंक्सन किया गया और इसका निर्माण प्रारंभ हुआ,पर मानक की ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया गया।शासन,प्रशासन,संबंधित विभाग और ठेकेदार लगता है जैसे सब एक अनाड़ियों का समूह है।कोई भी कार्य व्यवस्थित रूप से नहीं किया जा रहा है।पहले नाली और सर्विस रोड का निर्माण किया जाना चाहिए फिर पुल का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाना चाहिए पर यहाँ तो उल्टी गंगा बह रही है।एकदम से पुल का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया,पूर्व में बनी नालियों और रास्तों को ध्वस्त कर दिया गया।निर्माणाधीन पुल की सीमा में रह रहे परिवारों का जीवन नारकीय हो गया है।
जिला चिकित्सालय के सीवर का दूषित जल पूरे रास्ते में बह रहा है।रास्ता जैसा कुछ रह ही नहीं गया है,कीचड़, मलबा,गंदा पानी,गड्ढा और धूल के बेतरतीब ढेर को रोड कहा जा रहा है।मल-मूत्र से बजबजाता दूषित पानी जूतों और वाहनों के टायरों के माध्यम से घरों के भीतर तक जा रहा है।ऐसे में यहाँ के निवासियों का जीवन दूभर हो गया है और स्वास्थ्य ख़तरे में पड़ गया है।
इस संबंध में नगरपालिका,ज़िला प्रशासन,ब्रिज और रोड निर्माण विभाग तथा ठेकेदार सभी को इस स्थिति से अवगत कराया गया है पर किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
कुल 8-10 आदमी इस पुल का निर्माण कर रहे हैं ऐसे जैसे थूक में सेतुवा साना जा रहा हो।जब से इस पुल का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ तब से धीरे-धीरे करके अनूपपुर का मुख्य बाज़ार ठप हो गया है,दुकानदार मख्खियां भी नहीं मार पा रहे हैं।आज के कबीना मंत्री सम्माननीय रामलाल जी ने आंदोलन कर-करके इस पुल का काम चालू करवाया पर अब वे भी इसकी सुधि नहीं लेते।यह निर्विवादित सत्य है कि अगर इस पुल का प्रस्ताव पास न किया गया होता तो अब तक रेलवे,अंडर ब्रिज बनाकर सौंप देता।ऐसी स्थिति में न तो अनूपपुर के सौन्दर्य को क्षति पहुंचती और न ही लोग हलाकान होते रहते,इससे अनूपपुर के विस्तार में मदद मिलती वो अलग।अभी दो दिन पहले कलेक्टर महोदय ने निर्माणाधीन स्थल का औचक निरीक्षण किया तथा ठेकेदार और इंजीनियर को काफ़ी खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि ‘’लगता है कि आप जीवन में पहली बार पुल बना रहे हैं न तो आपने रोड का काम चालू किया,न नाली बना रहे हैं और न दीवार का काम चालू किया है,जिस काम के लिए 100-150 आदमी कार्यरत होने चाहिए वहॉं मात्र 8-10 आदमी पुल बना रहे हैं।क्या यहाँ कोई मज़ाक़ चल रहा है।नाराज़ होते हुए कलेक्टर महोदय ने इन्हें नोटिस जारी करने की ताकीद की।देखते हैं कि इसका क्या असर होता है।
वैसे बीरबल की खिचड़ी कब तक तैयार होती है यह तो बीरबल से ही पूछना पड़ेगा।
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