(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश जिला अनूपपुर आर.पी. सेवेतिया के न्यायालय से न्यायालय के विशेष प्रकरण क्र.49/19, थाना जैतहरी के अपराध क्रमांक 09/19 अन्तर्गत धारा 363, 366, 376(2)(N) भादवि 3/4, 5L, 6 पॉक्सो अधिनियम के आरोपी अनिल उर्फ गोविंद कुमार केवट पिता राजकुमार केवट, उम्र 24 वर्ष, निवासी ग्राम धनगवां थाना जैतहरी, जिला अनूपपुर म.प्र.को दोषी पाते हुए आरोपी को अधिकतम 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं कुल 5000 रुपए अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है। मामले में राज्य की ओर से सुश्री शाशि धुर्वे सहा. जिला अभियोजन अधिकारी ने पैरवी की है।
सहा.जिला अभियोजन अधिकारी ने न्यायालयीन निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि दिनांक 02/02/2019 को रात के समय नाबालिग पीड़िता के घर से बिना बताये चले जाने पर उसके परिजन द्वारा गुमशुदगी की शिकायत की गई,जिसके आधार पर पुलिस द्वारा प्रथम सूचना प्रतिवेदन लेखबद्ध करते हुए मामले को विवेचना में लिया गया दौरान विवेचना पीडिता को दिनांक 26/08/2019 को दस्तयाब हुई।पीडिता ने पुलिस को अपने कथन में बताया कि आरोपी अनिल उर्फ गोविंद केवट पीडिता को उसके घर से भगा ले गया था।लगभग 06 माह तक अपने साथ रखा तथा संबंध बनाने से 05 माह का गर्भ होना बतायी।पीड़िता व उसके पिता की सहमति प्राप्त कर उसे मुलाहिजा फार्म के साथ चिकित्सीय परीक्षण हेतु शासकीय अस्पताल भेजते हुए मामला अनुसंधान में लिया जाकर अनुसंधान समाप्ति पर अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। जहां माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को दोषी पाते हुए उपरोक्त दण्ड से दण्डित किया है।
सहा.जिला अभियोजन अधिकारी ने न्यायालयीन निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि दिनांक 02/02/2019 को रात के समय नाबालिग पीड़िता के घर से बिना बताये चले जाने पर उसके परिजन द्वारा गुमशुदगी की शिकायत की गई,जिसके आधार पर पुलिस द्वारा प्रथम सूचना प्रतिवेदन लेखबद्ध करते हुए मामले को विवेचना में लिया गया दौरान विवेचना पीडिता को दिनांक 26/08/2019 को दस्तयाब हुई।पीडिता ने पुलिस को अपने कथन में बताया कि आरोपी अनिल उर्फ गोविंद केवट पीडिता को उसके घर से भगा ले गया था।लगभग 06 माह तक अपने साथ रखा तथा संबंध बनाने से 05 माह का गर्भ होना बतायी।पीड़िता व उसके पिता की सहमति प्राप्त कर उसे मुलाहिजा फार्म के साथ चिकित्सीय परीक्षण हेतु शासकीय अस्पताल भेजते हुए मामला अनुसंधान में लिया जाकर अनुसंधान समाप्ति पर अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। जहां माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को दोषी पाते हुए उपरोक्त दण्ड से दण्डित किया है।
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