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ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ज्योतिष पीठ पहुंचकर सम्हाली कमान-श्रीधर शर्मा

 

विकास कार्यों के नाम 
छेड़खानी बर्दाश्त नहीं-स्वामी जी
(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) जिले के पवित्र धाम मां नर्मदा की उद्गम स्थली अमरकंटक निवासी मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव और परम धर्म सांसद शहडोल श्रीधर शर्मा ने मीडिया से मुखातिब होते हुए वर्तमान सरकार को आड़े हाथों लेते हुए विकास कार्यों के नाम पर तीर्थ क्षेत्र की पवित्रता के साथ छेड़छाड़ करने का विरोध किया है।उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ज्योतिष पीठ पहुंचकर कमान सम्हालते हुए ज्योतिष पीठ के आसपास उसकी क्षेत्र की आध्यात्मिक और प्राकृतिक पवित्रता के साथ छेड़ छाड़ करते हुए टनल बनाने की सरकार की योजना का कड़ा विरोध किया है।
       सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि हम सरकार की विकासात्मक नीतियों की सराहना करते हैं लेकिन सरकार को किसी भी धार्मिक स्थल की पवित्रता और उसकी प्राकृतिक छटा के साथ छेड़ छाड़ किए जाने की आलोचना की है।स्वामी जी ने सरकार को बताया कि ज्योतिष पीठ आदि-आदि काल से अपनी प्राकृतिक पवित्रता और आध्यात्मिकता के साथ इस धरा को सुशोभित कर रहा है।इसकी पवित्रता के साथ सरकार को किसी प्रकार का छेड़ छाड़ नहीं करना है।किसी भी तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल का रूप देकर विकास कार्यों का नाम देकर गुणगान करवाने की नीति पर सरकार को जल्द ही विचार किया जाना चाहिए।प्रकृति के साथ लगातार खिलवाड़ किए जाने के सकारात्मक परिणाम नहीं होंगे, इस पर सरकार को विचार किए जाने की आवश्यकता है। श्रीधर शर्मा ने बताया कि हमारे पूज्य गुरुदेव भगवान ज्योतिष पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने 12 साल पहले ही ज्योतिष मठ के बारे में सभी को आगाह किया था और अपनी पीड़ा भी व्यक्त की थी।लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।जिसका परिणाम आज सबके सामने है।श्री शर्मा ने कहा कि तानाशाही सरकार उनके इशारों को समझी नहीं और न ही उनक समर्थक इस बात की गहराई को समझ सके।आज सरकार कथित विकाश के नाम पर तीर्थ क्षेत्रों को नष्ट करके पर्यटन बनाकर पवित्रता नष्ट कर रही है।सत्ता मद में चूर शासन तीर्थों को नष्ट करने का बीज बोने का प्रयास कर रहे है, जिस पर अंकुश लगाए जाने की आवश्यकता है।

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