(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) वन मंडल अनूपपुर के वन परिक्षेत्र कोतमा अंतर्गत चपानी बीट के कक्ष क्रमांक आर एफ 426 के मध्य स्थित धार्मिक स्थल साईंबाबा में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय देवगवा एवं हाई स्कूल बलियाबड़ी के 120 छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में अनुभूति कार्यक्रम का आयोजन किया गया।इस दौरान छात्र-छात्राओं ने वनों के संसार को नजदीक से देखा व अनुभव प्राप्त कर अनुभूति का आनंद लिया।कार्यक्रम के प्रेरक एवं मास्टर ट्रेनर श्रवण कुमार पटेल एवं शशिधर अग्रवाल ने बच्चों को वन भ्रमण कराकर वनों में पाए जाने वाली घास,मिट्टी,पेड़-पौधे वन्य प्राणियों की जानकारी देते हुए बताया कि वनों में बहुतायत मात्रा में विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे होते हैं जिससे हमें उपयोगी लकड़ियों के साथ विभिन्न प्रकार की औषधियां मिलती है।विभिन्न प्रकार के पेड़ वर्षा काल मे होती वर्षा को अपनी जड़ों में अवशोषित कर नदी-नालों के माध्यम से हमें पानी देते हैं। वही हरे भरे वनों से ऑक्सीजन मिलता है जिससे हम जीवित रहते हैं।हमें वनों की रक्षा करनी चाहिए तथा वन्य प्राणियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
प्रकृति का संतुलन बने रहने से हम सभी का जीवन सफल होगा नहीं तो बड़े-बड़े शहरों में उत्पन्न हो रही ऑक्सीजन एवं अन्य तरह की बीमारियों व समस्याओं का सामना करना पड़ सकेगा।इस दौरान वन परीक्षेत्र अधिकारी कोतमा विकास सेठ ने छात्र-छात्राओं को सांकेतिक रूप में वन्य प्राणियों के पगमार्क,विष्ठा का अवलोकन कराते हुए कहा कि वनों में विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षियों के साथ वन्यप्राणी रहते हैं जिसमें बिल्ली प्रजाति के वन्यप्राणियों के नाखून अंदर होने से पगमार्ग में दिखाई नहीं देते जब कभी उन्हें चट्टानों,पेड़ों में चढ़ने या शिकार करना होता है तभी वह उनके नाखून बाहर निकालते हैं।उन्होंने डॉग प्रजाति के वन्यप्राणियों के नाखून बाहर होने की जानकारी दी।उन्होंने वन्यप्राणियों को आवाज,पगमार्क व उनकी बनावट के हिसाब से पहचाने जाने की बात कहते हुए कहा कि वनों में पाए जाने वाले घास से का अपना एक महत्व है जो वर्षा ऋतु के पानी को अवशोषित करते हैं तथा भूमि के मिट्टी के कटाव को रोकते हैं।उन्होंने अधिक से अधिक पेड़ लगाने तथा उनकी रक्षा करने की बात कही।इस दौरान वन कक्ष के अंदर स्थित वन्य प्राणी भालू के रहवासी क्षेत्र जिसे भीमगुफा कहा जाता है को बच्चों को दिखाया गया।उन्होंने वनों में लगने वाली आग के लगने के कारणों को बताते हुए गर्मी के मौसम में आग लगने पर स्वयं बुझाने का प्रयास करने अड़ोस-पड़ोस की लोगों तथा वन विभाग को सूचित करने का आह्वान करते हुए कहा कि वनों में आग लगने से कई तरह के नुकसान होते हैं।इस दौरान वन्यप्राणी भालू एवं जंगली खरगोश के मल,विष्ठा को दिखाया गया।कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं ने चित्रकला प्रश्नोत्तरी के साथ गीत, भाषण में अपनी सहभागिता दी।
जिला मुख्यालय अनूपपुर के वन्यजीव संरक्षक,सर्पप्रहरी एवं मास्टर ट्रेनर शशिधर अग्रवाल कोतमा क्षेत्र के सर्पप्रहरी हरिवंश प्रसाद पटेल ने बच्चों को विभिन्न प्रजाति के पाए जाने वाले जहरीले एवं सामान्य सर्पों की पहचान एवं उनके द्वारा डसने पर तत्काल शासकीय चिकित्सालय में उपचार कराए जाने तथा सर्पों का संरक्षण किए जाने की बात कही।अनुभूति कार्यक्रम में बच्चों द्वारा रंगोली बनाई तथा कुर्सी दौड़ प्रतियोगिता में भाग लिया।इस दौरान बच्चों को वन,वन्यप्राणियों के संरक्षण एवं स्वच्छता बनाए रखने हेतु शपथ दिलाई गई।तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं मे सहभागी छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदाय कर पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम में ग्राम पंचायत बलियाबड़ी उप सरपंच ओम प्रकाश पांडे,परिक्षेत्र सहायक कोतमा जे.डी.धारवे, परिक्षेत्र सहायक लतार विनोद कुमार मिश्रा,ग्राम वनसुरक्षा समिति कोठी अध्यक्ष महेश यादव,छिल्पा समिति अध्यक्ष वैशाखू प्रजापति के साथ विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिका एवं वन परिक्षेत्र कोतमा के वनरक्षक,सुरक्षा श्रमिक एवं ग्रामीण जन सम्मिलित रहे।
प्रकृति का संतुलन बने रहने से हम सभी का जीवन सफल होगा नहीं तो बड़े-बड़े शहरों में उत्पन्न हो रही ऑक्सीजन एवं अन्य तरह की बीमारियों व समस्याओं का सामना करना पड़ सकेगा।इस दौरान वन परीक्षेत्र अधिकारी कोतमा विकास सेठ ने छात्र-छात्राओं को सांकेतिक रूप में वन्य प्राणियों के पगमार्क,विष्ठा का अवलोकन कराते हुए कहा कि वनों में विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षियों के साथ वन्यप्राणी रहते हैं जिसमें बिल्ली प्रजाति के वन्यप्राणियों के नाखून अंदर होने से पगमार्ग में दिखाई नहीं देते जब कभी उन्हें चट्टानों,पेड़ों में चढ़ने या शिकार करना होता है तभी वह उनके नाखून बाहर निकालते हैं।उन्होंने डॉग प्रजाति के वन्यप्राणियों के नाखून बाहर होने की जानकारी दी।उन्होंने वन्यप्राणियों को आवाज,पगमार्क व उनकी बनावट के हिसाब से पहचाने जाने की बात कहते हुए कहा कि वनों में पाए जाने वाले घास से का अपना एक महत्व है जो वर्षा ऋतु के पानी को अवशोषित करते हैं तथा भूमि के मिट्टी के कटाव को रोकते हैं।उन्होंने अधिक से अधिक पेड़ लगाने तथा उनकी रक्षा करने की बात कही।इस दौरान वन कक्ष के अंदर स्थित वन्य प्राणी भालू के रहवासी क्षेत्र जिसे भीमगुफा कहा जाता है को बच्चों को दिखाया गया।उन्होंने वनों में लगने वाली आग के लगने के कारणों को बताते हुए गर्मी के मौसम में आग लगने पर स्वयं बुझाने का प्रयास करने अड़ोस-पड़ोस की लोगों तथा वन विभाग को सूचित करने का आह्वान करते हुए कहा कि वनों में आग लगने से कई तरह के नुकसान होते हैं।इस दौरान वन्यप्राणी भालू एवं जंगली खरगोश के मल,विष्ठा को दिखाया गया।कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं ने चित्रकला प्रश्नोत्तरी के साथ गीत, भाषण में अपनी सहभागिता दी।
जिला मुख्यालय अनूपपुर के वन्यजीव संरक्षक,सर्पप्रहरी एवं मास्टर ट्रेनर शशिधर अग्रवाल कोतमा क्षेत्र के सर्पप्रहरी हरिवंश प्रसाद पटेल ने बच्चों को विभिन्न प्रजाति के पाए जाने वाले जहरीले एवं सामान्य सर्पों की पहचान एवं उनके द्वारा डसने पर तत्काल शासकीय चिकित्सालय में उपचार कराए जाने तथा सर्पों का संरक्षण किए जाने की बात कही।अनुभूति कार्यक्रम में बच्चों द्वारा रंगोली बनाई तथा कुर्सी दौड़ प्रतियोगिता में भाग लिया।इस दौरान बच्चों को वन,वन्यप्राणियों के संरक्षण एवं स्वच्छता बनाए रखने हेतु शपथ दिलाई गई।तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं मे सहभागी छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदाय कर पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम में ग्राम पंचायत बलियाबड़ी उप सरपंच ओम प्रकाश पांडे,परिक्षेत्र सहायक कोतमा जे.डी.धारवे, परिक्षेत्र सहायक लतार विनोद कुमार मिश्रा,ग्राम वनसुरक्षा समिति कोठी अध्यक्ष महेश यादव,छिल्पा समिति अध्यक्ष वैशाखू प्रजापति के साथ विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिका एवं वन परिक्षेत्र कोतमा के वनरक्षक,सुरक्षा श्रमिक एवं ग्रामीण जन सम्मिलित रहे।
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