(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा)भारत के जनजातीय समुदाय को सशक्त बनाने में प्रौद्योगिकी का महत्व विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के शोध-छात्र चिन्मय पाण्डेय, बैधनाथ राम, ऋतुराज सोंधिया, अजय कुमार तथा जोनल कोऑर्डिनेटर मोरध्वज पैकरा ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में संयुक्त रूप से तीन शोध पेपर पर अपनी प्रस्तुति दी। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन में मुख्य अतिथि डॉ.जितेंद्र सिंह मंत्री विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा प्रधानमंत्री कार्यालय भारत सरकार, मुख्यवक्ता जे. नंदकुमार, अखिल भारतीय संयोजक, प्रज्ञा प्रवाह, गेस्ट ऑफ ऑनर डॉ. राजकुमार रंजन सिंह राज्यमंत्री शिक्षा तथा विदेश मंत्रालय, अध्यक्षीय-उद्बोधन के. राजारमन चेयरमैन डीओटी मिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिकेशन तथा तथा अध्यक्ष-हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद, कुलपति एनएलयू, कुलपति-जनपद विश्वविद्यालय, प्रो. शांतिश्री धूलिपुडी पंडित कुलपति जेएनयू सहित कई वैज्ञानिक, कुलपति,आईएएस तथा गणमान्य नागरिक मौजूद थे।इस हेतु शोध-निदेशक प्रो. डॉ. विकाश कुमार सिंह अधिष्ठाता संगणक विज्ञान संकाय तथा एसजेएम-विभाग-संयोजक, शहडोल विभाग का वैज्ञानिक -मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।शोध के सन्दर्भ में जानकारी देते हुए चिन्मय पाण्डेय, बैधनाथ राम तथा मोरध्वज पैकरा ने बताया कि 17 एफ प्लस 6 टी इनोवेटिव फार्मूला से सैद्धांतिक व्यावसायिक ज्ञान, कौशल, उद्यमिता अभिवृति, स्थानीय संसाधन आधारित अर्थव्यवस्था की जानकारी, मार्केटिंग, क्वालिटी कंट्रोल, लाइसेंस प्रक्रिया, जरुरी सॉफ्ट स्किल, व्यावहारिक चुनौतियों, अभिरुचि-परम्परागत जीविकोपार्जन हेतु एकीकृत सलूशन से सुदूर वनांचल में निवासरत जनजातीय युवा सशक्त और स्वावलम्बी बन सकेंगे। लोक उत्सव, शिल्प विधान, लोक विज्ञान, लोक गणित और ज्योतिष, लोक चिकित्सा और स्वदेशी ज्ञान, लोक विविधता आधारित सांस्कृतिक विरासत का उपयोग जनजातीय क्षेत्र के सतत आर्थिक सशक्तिकरण के लिए किया जाएगा। नए भारत की जनजातियों को आधुनिक तकनीक के लिए नवीन और स्वदेशी प्रदान करके (परंपरा, प्रतिभा, पर्यटन, व्यापार, प्रौद्योगिकी और जनजाति) की अवधारणा को साकार करना है। “सीताराम टेक्नोलॉजी” से भारत के सभी जनजातीय युवा को एक-राष्ट्र-एक-स्वावलंबन-प्लेटफार्म उनके मोबाइल पर उपलब्ध हो जायेगा तथा “सीताराम” तकनीक के माध्यम से उद्यम की स्थापना, परम्परागत ज्ञान के साथ स्वावलंबन -जीवन चक्र के बारे में कंपनी का गठन,पीपीआर, डीपीआर की तैयारी,ईपीसी की तकनीकी जानकारी,संयंत्र और मशीनरी का व्यवहार्यता विश्लेषण,औद्योगिक भूमि,क्लस्टर के आवंटन से संबंधित प्रशिक्षण,राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाओं का समन्वय,वित्तीय प्रणाली के लिए ऋण लेने की प्रक्रिया,भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता प्राप्त करने की प्रक्रिया लाइसेंस,मार्केटिंग के लिए ऑनलाइन,ऑफलाइन कंपनी के साथ टाई-अप, एफएमसीजी कंपनी के साथ टाई-अप करके कंपनी की स्थापना,सीताराम टेक्नोलॉजी के माध्यम से निर्यात लाइसेंस,राज्य एवं केन्द्रीय योजनाओं का लाभ लेने जैसी सभी जानकारी प्राप्त कर, वन-धन विकास केंद्र, एफपीसी, सहकारिता कंपनी के माध्यम से युवा स्वावलंबी बन जायेगा। सीताराम टेक्नोलॉजी से रामराज की स्थापना हो सकेगी।
शोध के सन्दर्भ में जानकारी देते हुए ऋतुराज सोंधिया तथा अजय कुमार ने बताया की भारत भूमि में 698 अनुसूचित जनजातियों की परम्परागत-समृद्ध विरासत के साथ लगभग 17 प्रांतों में बहुसंख्यक के रूप में फैले तथा कुल जनसंख्या के 8.6 प्रतिशत जनजातियों को उनके परंपरागत कौशल ज्ञान, उद्यमिता तथा सहकारिता के समन्वय से जनजातीय परिवारों के ज्ञान की वैविध्यता के साथ जीविका आधारित उद्यमिता शिक्षा उनके समग्र विकास ,अर्थोपार्जन का मूल मन्त्र है। जनजातीय समुदाय तथा सुदूर इलाकों में रहने वाले युवा साथियों को एक साथ स्वावलंबी बनाने से वनांचल के अंतिम व्यक्ति का उदय होगा,आर्थिक विकेंद्रीकरण से समाज का अंतिम व्यक्ति समृद्ध और सुखी होगा।
नमोदी फ्रेमवर्क शोध के सन्दर्भ में अजय कुमार, ऋतुराज सोंधिया, चिन्मय पाण्डेय, बैधनाथ राम, विजय पांडे तथा मोरध्वज पैकरा ने संयुक्त रूप से बताया की व्यावसायिक शिक्षा को जनजातीय छात्रों के लिए नमोदी फ्रेमवर्क के माध्यम से एक आकर्षक विकल्प बनाया जा सकेगा जिससे ज्यादा से ज्यादा व्यावसायिक शिक्षा को चुनने का विकल्प उपलब्ध हो सकेगा।छात्र व्यावसायिक और सामान्य शिक्षा के बीच आसानी से समन्वय कर सकेंगे। नमोदी फ्रेमवर्क से छात्रों के पास अपने अकादमिक करियर के दौरान व्यावसायिक शिक्षा को चुनने का विकल्प रहेगा जहाँ छात्रों को व्यावहारिक कौशलों का प्रशिक्षण, कौशल, डिजिटल और वित्तीय साक्षरता, उद्दमिता आदि से सम्बंधित कोर्स को डिजिटल माध्यम से कर सकेंगे।नमोदी फ्रेमवर्क के माध्यम से स्किल गैप, स्थानीय संसाधन-अवसरों का विश्लेषण, वित्तीय सहयोग, बुनियादी संरचना, निवेश, अप्रेंटिसशिप से छात्रों को आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी बनाने की दिशा में बहुत एडवांस प्लेटफार्म होगा।
शोध के सन्दर्भ में जानकारी देते हुए ऋतुराज सोंधिया तथा अजय कुमार ने बताया की भारत भूमि में 698 अनुसूचित जनजातियों की परम्परागत-समृद्ध विरासत के साथ लगभग 17 प्रांतों में बहुसंख्यक के रूप में फैले तथा कुल जनसंख्या के 8.6 प्रतिशत जनजातियों को उनके परंपरागत कौशल ज्ञान, उद्यमिता तथा सहकारिता के समन्वय से जनजातीय परिवारों के ज्ञान की वैविध्यता के साथ जीविका आधारित उद्यमिता शिक्षा उनके समग्र विकास ,अर्थोपार्जन का मूल मन्त्र है। जनजातीय समुदाय तथा सुदूर इलाकों में रहने वाले युवा साथियों को एक साथ स्वावलंबी बनाने से वनांचल के अंतिम व्यक्ति का उदय होगा,आर्थिक विकेंद्रीकरण से समाज का अंतिम व्यक्ति समृद्ध और सुखी होगा।
नमोदी फ्रेमवर्क शोध के सन्दर्भ में अजय कुमार, ऋतुराज सोंधिया, चिन्मय पाण्डेय, बैधनाथ राम, विजय पांडे तथा मोरध्वज पैकरा ने संयुक्त रूप से बताया की व्यावसायिक शिक्षा को जनजातीय छात्रों के लिए नमोदी फ्रेमवर्क के माध्यम से एक आकर्षक विकल्प बनाया जा सकेगा जिससे ज्यादा से ज्यादा व्यावसायिक शिक्षा को चुनने का विकल्प उपलब्ध हो सकेगा।छात्र व्यावसायिक और सामान्य शिक्षा के बीच आसानी से समन्वय कर सकेंगे। नमोदी फ्रेमवर्क से छात्रों के पास अपने अकादमिक करियर के दौरान व्यावसायिक शिक्षा को चुनने का विकल्प रहेगा जहाँ छात्रों को व्यावहारिक कौशलों का प्रशिक्षण, कौशल, डिजिटल और वित्तीय साक्षरता, उद्दमिता आदि से सम्बंधित कोर्स को डिजिटल माध्यम से कर सकेंगे।नमोदी फ्रेमवर्क के माध्यम से स्किल गैप, स्थानीय संसाधन-अवसरों का विश्लेषण, वित्तीय सहयोग, बुनियादी संरचना, निवेश, अप्रेंटिसशिप से छात्रों को आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी बनाने की दिशा में बहुत एडवांस प्लेटफार्म होगा।
0 Comments