(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) आए दिन रेलवे की नौटंकी से रेल यात्री काफी परेशान हो चुका है।अब रेलयात्री कहने लगा कि रेलवे सबसे पहले पूरी ट्रेनों को टोटल बंद कर दे और जहां भी कोयले की जरूरत है पहले अपना कोयला पहुंचाए उसके बाद यात्री ट्रेनों को प्रारंभ करें।आए दिन देखा जा रहा है कि अधोसंरचना का बहाना कर कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रेलवे ट्रेनों को कैंसिल कर देता है और रेलवे बोर्ड का आदेश बता कर अपना पल्ला झाड़ लेता है।रेलवे को देखना चाहिए कि पूरे देश में कोरोना समाप्त हो चुका है सभी कार्य चालू हो चुके हैं लेकिन रेलवे की बंद ट्रेन आज तक प्रारंभ नहीं हो पाई काफी ट्रेनों को अभी तक संचालित नहीं किया गया।छोटे-छोटे स्टेशन के यात्री काफी परेशान हैं यही नहीं काफी स्टॉपेज भी रेलवे ने बंद कर दिया है जिससे सभी तरह से यात्री परेशान हो रहा है।एक तो कोरोना के लॉकडाउन ने लोगों की फजीहत कर दी आर्थिक संकट से हर कोई गुजर रहा है छोटे-छोटे रेलवे स्टेशन के लोग अपनी फसलों को ट्रेनों से बेचने के लिए शहर आते थे और अपने प्रतिदिन का खानपान शहर से खरीद कर ले जाते थे लेकिन उनका काम टोटल बंद हो चुका। किस तरह वह अपना वा अपने परिवार का जीविकोपार्जन कर रहे हैं उनके दिल से ही पूछा जा सकता है कि उनकी स्थिति क्या है।रेलवे को यह देख लेना चाहिए की कितने कोयले की उसे आपूर्ति करना है और कितना समय उसमें लगेगा वह वही कार्य कर ले और उसके बाद ट्रेनों को प्रारंभ करें।आए दिन की नौटंकी अपनी बंद करें जिससे यात्रियों को बेवजह परेशानी का सामना ना करना पड़े।आज बड़ी बड़ी ट्रेन जिसमें धन्ना सेठ चलते हैं वह चालू है लेकिन गरीबों की ट्रेन पूरी तरह से बंद कर रखी गई है जो मेमो ट्रेन चल रही है वह स्पेशल के रूप में चल रही है रुक रही सभी स्टेशन पर है लेकिन किराया स्पेशल का लग रहा है यह पूरी तरह से अन्याय है।शहडोल संसदीय क्षेत्र का दुर्भाग्य है कि यहां कोई दमदार नेता स्वर्गीय दलवीर सिंह जैसा आज तक पैदा नहीं हुआ जिसका नतीजा हैं कि लोगों को आए दिन तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।देखा जाए तो शहडोल संभाग के अंदर चाहे सांसद हो या विधायक कोई भी रेलवे की सुविधाओं के लिए संघर्ष करने के लिए मैदान में नहीं उतर रहा और जो उतर रहे हैं उन पर रेलवे आरपीएफ के माध्यम से प्रकरण दर्ज करा रही है लोगों की आवाज बंद कर रही है यह कहां का न्याय है...?आज रेलवे के पास स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए कोयले का संकट सामने नहीं आ रहा लेकिन जो नियमित ट्रेन चल रही है उसे जानबूझकर आए दिन बंद करना उसका अधिकार बन गया है।क्योंकि बहुत सीधे लोग रेलवे को मिल गए हैं जिसका रेलवे नाजायज फायदा उठा रही है।शहडोल संभाग में जेड आर यू सी सी, डीआर यूसीसी के मेंबर भी हैं उनकी आवाज भी रेल जोन एवं रेल प्रबंधक रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं आज तक उनकी मांगों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।रेलवे द्वारा देखा जाए तो बसों को टैक्सियों को पर्दे के पीछे से कमाने के लिए मौका दिया जा रहा है और इनमें इतना ज्यादा किराया लग रहा है की लोगों की हिम्मत नहीं है की वह अधिक किराया देकर वाहनों में सफर कर सकें।शादी विवाह का सीजन चल रहा है स्वास्थ्य के लिए लोगों को बाहर जाना पड़ता है जनरल टिकट चल रही ट्रेनों में नहीं मिल रही पूरी तरह से रेलवे जनता को लूटने का काम कर रही है जो किसी भी करा न्याय संगत नहीं है। लेकिन वाह रे जनप्रतिनिधि रेलवे की मनमानी के खिलाफ आगे नहीं आ रहे इनके खिलाफ तो तमाम इन बातों को लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए जिससे लोगों को न्याय मिल सके और रेलवे की मनमानी पर रोक लग सके।काफी संख्या में अधिवक्ता गण भी है धन्ना सेठ भी है सभी थोड़ा-थोड़ा चंदा कर उच्च न्यायालय तक जाए तो निश्चित ही सुनवाई होगी और रेलवे बोर्ड, रेल मंत्री सभी पर कार्यवाही सुनिश्चित है उनके दोहरे मापदंड को लेकर।देखना है कौन आगे आता है उच्च न्यायालय में कुल 14600 रुपए जमा कर इनके खिलाफ आवाज बुलंद की जा सकती है अगर आम जनता चाह ले तो इनकी बारह बज जाए।
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