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राजस्व अधिकारियों के कार्यों की कलेक्टर ने समीक्षा कर दिए निर्देश दर्ज राजस्व प्रकरणों का हो निराकरण

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) राजस्व न्यायालयों में दर्ज प्रकरणों का निराकरण प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित किया जाए। ज्यादा समय से लंबित प्रकरणों को पहले निराकृत किया जाए। निराकरण के लिए राजस्व अधिकारी स्वयं प्रकरणों के निराकरण का लक्ष्य निर्धारित कर लें, जिससे राजस्व न्यायालयों में प्रकरणों की लंबित स्थिति न रहे। उक्ताशय के निर्देश कलेक्ट्रेट स्थित नर्मदा सभागार में राजस्व अधिकारियों के कार्यों की समीक्षा करते हुए कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना ने बैठक में व्यक्त किए। बैठक में अपर कलेक्टर सरोधन सिंह, अनुविभागीय दण्डाधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार उपस्थित थे।
               समीक्षा बैठक में कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना ने वनाधिकार प्रकरणों, राजस्व वसूली, मुख्यमंत्री भू-आवासीय योजना, नगरीय निकाय क्षेत्र में संचालित धारणाधिकार योजना, अतिक्रमण कार्यवाही आदि के संबंध में समीक्षा करते हुए कहा कि सभी राजस्व अधिकारी राजस्व वसूली के कार्य को मुस्तैदी से करें तथा आरसीएमएस में दर्ज प्रकरणों का समयबद्ध निराकरण कर राजस्व के लंबित प्रकरणों की स्थिति को सुधारें। उन्होंने कहा कि राजस्व अधिकारियों को राजस्व की सेवाएं देने के लिए गांवों में जाकर चौपाल के माध्यम से ग्रामीणों से चर्चा करनी चाहिए तथा आवेदन लेकर प्रकरण दर्ज कर ग्रामीणों को लाभान्वित किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि इस कार्य को सभी राजस्व अधिकारी अभियान मोड में करें, जिससे आम जनमानस में सकारात्मक संदेश जाए। उन्होंने कहा कि राजस्व योजनाओं के हर पात्र हितग्राही को लाभ मिलें इस हेतु राजस्व अधिकारी मैदानी अमले से समन्वय कर आम जनों की समस्याओं का निराकरण सुनिश्चित कराएं। उन्होंने कहा कि धारणाधिकार तथा मुख्यमंत्री भू-आवासीय योजना के तहत प्रत्येक पात्रताधारी को लाभान्वित किया जाए। उन्होंने कहा कि जन सामान्य को मदद करने वाली योजनाओं के संबंध में आम जनों को जानकारी दी जाए तथा सर्वेक्षण कार्य कर पात्रों को पात्रता के अनुसार लाभ दिया जाए। उन्होंने विभिन्न राजस्व अनुभागों के अंतर्गत लंबित प्रकरणों के लिए राजस्व अधिकारियों को तत्परता से कार्य करने के निर्देश दिए गए। बैठक में अपर कलेक्टर श्री सरोधन सिंह ने राजस्व न्यायालयों में दर्ज प्रकरणों के निराकरण के वैज्ञानिक तथ्यों से राजस्व अधिकारियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण से मुक्त हुई भूमि को मध्यप्रदेश शासन दर्ज कर आरक्षित करते हुए उसका उपयोग शासकीय प्रायोजन के अनुरूप किया जाए। उन्होंने प्रोटोकाल के पालन, आगामी समय में संभावित स्थानीय निर्वाचन, ऑडिट कंडिकाओं के निराकरण आदि के संबंध में राजस्व अधिकारियों का मार्गदर्शन किया।

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