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उमंग और उत्साह के साथ इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय में मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा)अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसके केंद्र में महिलाएं थी। सर्वप्रथम लैंगिक अध्ययन केंद्र की अध्यक्ष प्रोफेसर अनुपम शर्मा द्वारा बेहतर कल के लिए लैंगिक समानता विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। जिसमें बीज वक्ता प्रोफेसर सरोज शर्मा (अध्यक्ष, राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा संस्थान नोएडा उत्तर प्रदेश) ने समाज में महिलाओं की दशा के बदलते स्वरूप को स्पष्ट किया। मुख्य अतिथि श्रीमती अर्चना झा (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही, छत्तीसगढ़) द्वारा महिलाओं के प्रति बढ़ते दुर्व्यवहार की चिंता व्यक्त करते हुए यूनिसेफ की मदद से छत्तीसगढ़ में प्रारंभ हुए अभिव्यक्ति नामक महिला सुरक्षा गूगल ऐप की विस्तृत जानकारी प्रदान की। विशिष्ट अतिथि के रूप में पद्मश्री श्रीमती दुलारी देवी शामिल हुई। संगोष्ठी के अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा महिला को मानव जीवन का आधार बताया और इस लोक में आदि से अंत तक नारी के अस्तित्व एवं कृतित्व की व्याख्या करते हुए कहा कि महिला दिवस एक दिन का नहीं है क्योंकि महिला से दिन की शुरुआत होती है। अतः यह दिवस तो हर दिन होना चाहिए और आज का दिन एक उत्सव व त्यौहार की तरह मनाया जाना चाहिए।
दूसरा कार्यक्रम दो दिवसीय सेमिनार शिक्षा संकाय द्वारा 'सांस्कृतिक संवर्धन में महिलाओं की भूमिका' विषय पर आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि प्रो. कीर्ति पाण्डेय (प्रोफेसर समाजशास्त्र, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर) थी। कार्यक्रम के सूत्रधार प्रोफेसर एम.टी.वी. नागराजू (डीन शिक्षा संकाय) द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से महिलाओं द्वारा सांस्कृतिक संवर्धन को कैसे बढ़ाया जा सकता है को स्पष्ट किया गया।
तृतीय कार्यक्रम 'आत्मनिर्भर भारत एवं महिला सशक्तिकरण' विषय पर आयोजित हुआ जिसकी अध्यक्षता श्रीमती शीला त्रिपाठी (अध्यक्ष श्री शील मंडल, अमरकंटक) द्वारा की गई, उन्होंने मानवीय सभ्यता संस्कृति और संस्कार के मूल में नारी अस्तित्व के महत्त्व को व्यक्त किया। कार्यक्रम की संयोजक प्रोफ़ेसर नीति जैन द्वारा कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा व्यक्त की गई। मुख्य वक्ता डॉ. ममता मणि त्रिपाठी (प्राचार्य, उदित नारायण पी.जी. कॉलेज उत्तर प्रदेश) द्वारा महिलाओं के योगदान को स्पष्ट किया गया और उनके योगदान, जो इतिहास से लेकर संविधान निर्माण तक हैं कि विस्तृत व्याख्यान की गई। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर दिलीप सिंह द्वारा गांधी की अहिंसा के सिद्धांत को महिला सम्मान और राष्ट्र निर्माण में महिलाओं के योगदान को स्पष्ट किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा महिला सशक्तिकरण विषय पर तीन प्रकार के ऋण धरणी, भरणी और बैतरणी की व्याख्या करते हुए अंबाला और सबला को शब्दों की व्याख्या की तथा भगवान शिव, पार्वती के उदाहरण से भारत में महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रकृति और पर्यावरण के साथ महिला को महत्वपूर्ण बताया।

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