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कर्नल एस.बी. सिंह बनकर सेना में नौकरी दिलाने के नाम से छल करने वाले आरोपी को 07 वर्ष का सश्रम कारावास

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) न्यायालय श्रीमान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आर.पी. सेवेतिया के न्यायालय के द्वारा थाना कोतवाली अनूपपुर के अपराध क्र. 793/19 के आरोपी दयाशंकर उर्फ ललन पिता स्व. कौशल प्रसाद शर्मा उम्र 56 वर्ष निवासी ग्राम गडहरा, थाना रामपुर नैकिन जिला सीधी को धारा 419 भादवि के अपराध के लिए 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 25 हजार रुपए जुर्माना तथा धारा 420 भादवि के अपराध के लिए 07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 50 हजार रुपए अर्थदण्ड से दण्डित करने का आदेश पारित किया है। राज्य की ओर से सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी एवं अभियोजन मीडिया प्रभारी राकेश कुमार पाण्डेय ने पैरवी की है। 
                      न्यायालयीन निर्णय की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि आरोपी दयाशंकर शर्मा अपने को सेना में अधिकारी होना तथा अपना नाम एस.बी.सिंह कर्नल बताते हुए अनूपपुर जिले के आस-पास के बेरोजगार युवकों को नौकरी दिलाने के लिए चित्रकूट, इलाहाबाद, कानपुर आदि शहरों में बुलाकर फर्जी तरीके से नौकरी का परीक्षा लेते हुए एवं सेना में प्रशिक्षण पश्चात नौकरी दिलाने के नाम से कई लोगों से जिसमें प्रमुख रूप से राम सिंह गोंड, महेश प्रसाद राठौर, राहुल राठौर, गुलशन चंद्रवंशी, उदय सिंह राठौर, सुरेन्द्र  राठौर और अनूपपुर के आस-पास के अन्य  लडके शामिल हैं से कई लाख रूपये ठग लिया था और न इन व्यक्तियों की नौकरी लगवाई और न ही इन लोगों का पैसा वापस किया। इसी प्रकार आरोपी जिले के आमाडार कॉलरी का मैनेजर अपने को बताते हुए सूरजदीन कोल को उसके लडकों की नौकरी जमीन के बेस में लगवाने के नाम पर कई लाख रूपये ठगे थे। आरोपी इसी प्रकार का कृत्य अन्य जिलों में भी करता था, अनूपपुर वालों को उसकी असलियत पता चलने पर उसके खिलाफ कोतवाली अनूपपुर में अपराध दर्ज कराया गया। कोतवाली अनूपपुर के द्वारा सम्पूर्ण विवेचना पश्चात मामला माननीय न्यायालय में पेश किया गया। माननीय न्यायालय ने अभियोजन द्वारा प्रस्तु्त साक्ष्य एवं दस्तावेजों से मामला प्रमाणित पाते हुए आरोपी को उपरोक्त कठोर दण्ड से दण्डित किया है। 
                            उक्त निर्णय के बारे में अभियोजन अधिकारी राकेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि अनूपपुर जिले में न्याायिक मजिस्ट्रेेट के न्यायालयों से आज तक हुई विभिन्‍न सजाओं में यह अधिकतम दण्ड है, विधि अनुसार मुख्य न्याायिक मजिस्ट्रेेट को अधिकतम 07 वर्ष की सजा देने का अधिकार है, माननीय न्यायालय ने आरोपी के कृत्य  को गंभीर अपराध मानते हुए अपने सर्वोत्तम शक्ति का प्रयोग करते हुए आरोपी 07 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।

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