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जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र अमरकंटक में आकर सेवा कार्य एवं शिक्षा का अलख जगाने वाले डॉ.सरकार-विकास चंदेल

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) लेखक एवं चिंतक विकास चंदेल ने आज 10 जनवरी के दिन की महत्ता बताते हुए कहा कि जनजाति बाहुल्य क्षेत्र अमरकंटक में आकर सेवा कार्य एवं शिक्षा का अलख जगाने वाले डॉक्टर प्रवीर सरकार आज हमारे बीच नहीं है लेकिन आज भी हमें वह हमारे बीच ही नजर आते हैं। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि
आत्मनो मोक्षार्थं जगद्धिताय च ( अर्थात स्वयं के मोक्ष के लिए तथा जगत के कल्याण के लिए), ऋग्वेद का एक श्लोक है। स्वामी विवेकानन्द प्रायः इस श्लोक को उद्धृत करते रहते थे और बाद में यह वाक्यांश रामकृष्ण मिशन का ध्येयवाक्य बनाया गया।
         यह ध्येयवाक्य मानवजीवन के एक ही साथ दो उद्देश्य निर्धारित करता है- पहला अपना मोक्ष तथा दूसरा, संसार के कल्याण के लिए कार्य करना।
           10 जनवरी 1949 को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला में जन्में डॉ. प्रबीर सरकार ने इस वाक्य को अपना ध्येय वाक्य बना कर वर्ष 1995 में जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र अमरकंटक में आकर सेवा कार्य प्रारंभ किये। रामकृष्ण मिशन से दीक्षित ठाकुर श्री रामकृष्ण परमहंस के अनन्य भक्त डॉ. सरकार दरसल रांची के हॉस्पिटल में बतौर होम्योपैथिक चिकित्सक अपनी सेवा दे रहे थे, इस दौरान वे अपने मित्रों के साथ अमरकंटक दर्शन के लिए आये, किंतु तत्कालिक अमरकंटक एवं मैकल परिक्षेत्र की गरीबी, अशिक्षा व दुर्दशा ने डॉ.सरकार के मन में आशांति पैदा कर दिया, मन में चल रही पीड़ा को स्वामी शुद्धतमानंद जी ने समझा और उन्हें अमरकंटक में ही सेवा कार्य प्रारंभ करने का सुझाव दिया, डॉ.सरकार को यह विचार उचित लगा, वे वापस रांची जाकर अपनी नौकरी से त्याग पत्र दे दिये तथा अपनी सारी संपत्ति अपने भाई बहनों को देकर खुद को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर लिए। श्री रामकृष्ण विवेकानंद सेवा आश्रम के सचिव का दायित्व लेकर 3 बच्चियों के साथ झोपड़ी में प्रारंभ किए मां शारदा कन्या विद्यापीठ विद्यालय को आज एक बड़े स्वरूप में निर्मित करके सैकड़ों बैगा एवं अन्य समुदाय के जनजाति एवं गैर जनजातीय बालिकाओं को गुणवत्ता पूर्ण तथा संस्कार युक्त शिक्षा प्रदान करके  शिक्षित एवं संस्कारवान बनाया। बहुत से छात्राएं अब सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों में सेवाएं प्रदान कर रही हैं, साथ ही बहुतों ने स्वरोजगार प्रारंभ करके अपने जीवन को संवारा है। विद्यापीठ की छात्राओं के साथी क्षेत्र की जनता उन्हें बाबूजी के नाम से पुकारते थे। चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ.सरकार की अहम भूमिका रही है पुष्पराजगढ़ विकासखंड के 65 जनजातिय गांव में शिक्षा को सुलभ बनाने के साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र में भी सराहनीय कार्य किए हैं, गांव-गांव में स्वास्थ्य शिविरों के आयोजन से ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हुआ है, वहीं समय अंतराल पर विद्यापीठ परिसर में रक्तदान शिविर का आयोजन सैकड़ों जीवन में बचाने का श्रेय भी आपको जाता है। कोरोना महामारी के प्रथम लहर में जब राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन सरकार द्वारा लगाए गए तब दैनिक मजदूरों के साथ ही जनजाति ग्रामों में जहां लोग राशन व दैनिक सामग्री के ना मिलने के कारण परेशानियों से जूझ रहे थे तब 39 गांव के 1950 परिवारों तक पहुंचा कर उन्हें भूखे सोने से बचाया था। डॉ सरकार के सेवा कार्य से प्रभावित होकर सैकड़ों युवाओं ने समाज कार्य की ओर अपना सकारात्मक योगदान दिया है, ऐसे ही युवाओं की टोली है प्रणाम नर्मदा युवा संघ ! जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक छात्रों एवं शोधार्थियों द्वारा गठित यह संगठन समाज कार्य क्षेत्र में कार्य करती है जिसका प्रारंभ से ही डॉक्टर सरकार ने मार्गदर्शन किया है। जीव को शिव का स्वरूप मानने वाले डॉक्टर सरकार ने कभी अपने लिए कोई सौंदर्य या साधन नहीं जुटाए, उनकी ईमानदारी, सत्यनिष्ठा एवं साधना के बल पर उन्होंने अनेक छोटे-बड़े सेवा कार्य किए हैं। तमाम बीमारियों से ग्रसित होने के बावजूद भी उनका मनोबल कभी नहीं टूटा।जीवन के अंतिम दौर में सेवा के इस यज्ञ में युवाओं की आहुति देना चाह रहे थे, उन्होंने ऐसे बहुत से युवाओं को तैयार भी किया जो उनके दिखाए मार्ग पर चल रहे हैं। 11 मार्च 2021 को डॉ. सरकार ब्रम्हलीन हो गए।
सेवा के मार्ग पर चलकर दीन दुखियों एवं जरूरतमंदों की सेवा करके डॉक्टर सरकार को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है । वह हमेशा कहा करते थे हम सबकी दो मां हैं एक जन्म दात्री मां जिन्होंने हमें जन्म दिया है और दूसरी धरती मां जिसका अन्न, जल तथा वायु पाकर हम जीवित हैं, हमें दोनों मां के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए तथा इनके सेवा हेतु कार्य करना चाहिए। वह हमेशा कहा करते थे कि व्यक्ति को 95 प्रतिशत अपने लिए, अपने परिवार के लिए, अपने जीवन के लिए करना चाहिए किंतु 5 प्रतिशत समाज तथा देश के लिए करना चाहिए । व्यक्ति सात्विक बनकर ही प्रभु को पा सकता है, नर में ही नारायण का स्वरूप ढूंढ कर उसकी सेवा करनी चाहिए। सेवा के प्रतिमूर्ति डॉ.प्रबीर सरकार जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन।

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