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अनूपपुर कोतमा मार्ग पर स्थित सोन नदी का पुल देख रेख के अभाव में कभी भी बजा सकता है खतरे की घंटी

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंचलधारा) जिला मुख्यालय अनूपपुर से कोतमा की ओर जाने वाले सोन नदी का पुल सदियों पुराना हो चुका है केवल मलहम पट्टी के सहारे यह पुल अपनी जिंदगी जी रहा है कभी भी यह सोन नदी का पुल बड़े हादसे का शिकार हो सकता है खतरे की घंटी बजा सकता है।इसके पीछे अधिकारियों की अनेदखी  ही कहीं जा सकती है।सोन नदी पुल के निर्माण के लिए प्रस्तावित योजनाएं इस वर्ष भी शासन के पास नहीं पहुंच पाई है।इस बार भी वह रद्दी की टोकरी में अपनी जीवन यात्रा की कहानी कह रहा है। पुल निर्माण के लिए विभाग ने अब तक ना तो इस्टीमेट तैयार किया और ना ही शासन को एस्टीमेट भेजा।जबकि अनूपपुर जैतहरी मार्ग पर स्थित तिपान  नदी पर दूसरे पुल का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
सोन नदी पुल पर अधिकारियों ने गम्भीरता नहीं दिखाई। जिसके कारण अनूपपुर-कोतमा को जोडऩे वाली सोन नदी पर बना पुल अब मेंटनेंस के अभाव में 45 वर्ष की अवधि में खतरनाक हो गया है। 70-80 मीटर लम्बे पुल के बेस में जगह जगह सरिया उधडक़र दरारों में तब्दील हो गई है। रेलिंग की लोहे की पिलर एवं पाईप जगह जगह टूटकर धराशायी हो रहे हैं। अनदेखी का आलम यह है कि पुल के लिए ढलाई की गई निचली बेस की परत भी अब टूटकर नदी में गिर रही है। हालांकि तकनीकि आंकड़ों में किसी भी पुल की औसत आयु 100 साल माना जाता है। लेकिन सोननदी पुल का निर्माण के बाद अब तक कभी मेंटनेंस नहीं किया गया।
बताया जाता है कि लोक निर्माण (भवन तथा पथ) विभाग द्वारा 28 जनवरी 1969 में तत्कालीन शहडोल जिला अंतर्गत अनूपपुर तहसील से गुजर रही सोन नदी के उपर पुल का निर्माण कराया था। जिसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह द्वारा किया गया था। उद्घाटन के बाद अनूपपुर कोतमा को एक सूत्र में बांधा गया, लेकिन निर्माण के बाद आज तक पुल के मरम्मत के लिए सम्बंधित विभाग द्वारा कोई कदम नहीं उठाए गए। यहां तक इस दौरान पुल पर गुजरते वाहन द्वारा अनेक बार पिलरों को ठोकर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया है। लोहे की पाइपों में ठोकर से औंधे-पौंने आड़े-तिरछी लगी हुई है।

पांच साल पूर्व मरम्मत के लिए 
पत्राचार तैयार नहीं हुआ प्रस्ताव

पुल निगम शहडोल के अनुसार पांच साल पूर्व इसके मरम्मत के लिए भोपाल को पत्राचार किया गया था। इसमें फिर से पुल निगम को प्राक्कलन बना कर भेजा जाना था। पुल निगम के अनुसार अनूपपुर के लिए उस दौरान 8 योजनाओं पर प्रस्ताव भेजे गए थे, लेकिन सोननदी का प्रस्ताव नहीं भेजा जा सका। खुद पुल निगम मानती है कि अगर पुल का मेंटनेंस नहीं हुआ तो जल्द ही पुल धराशयी हो जाएगी।
निगम के अनुसार पुल की बेस जर्जर हो चुका है, वहीं पिलरों में भी जगह-जगह दरारे दिखने लगी है। इसके अलावा पुल की लम्बाई के अनुसार दोनों छोर पर मिट्टी के भराव कम होने के कारण उसके कटाव भी आरम्भ हो गया हैं। जिसमें वहां से गुजरने वाले वाहनों के हादसे की आशंका बनी रहती है। इससे पूर्व पुल पर डामर की परत निकलने से गढ्ढा होने और अंधेरे में हो रही परेशानी पर अनूपपुर विधायक बिसाहूलाल सिंह के निर्देश पर पुल निगम द्वारा डामरीकरण कराया था और बिजली के खम्भे लगाए थे।

क्षतिग्रस्त पिलर दे रहे 
हादसों को निमंत्रण

पुल निर्माण के दौरान उसकी रेलिंग के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा सीमेंट की ढलाई वाली पिलर की जगह लोहे की पिलर लगाई गई थी। जिसकी पकड़ के लिए नीचे ढाल किया गया था। लेकिन वाहनों की ठोकर के बाद यह पकड़ की ढाल अब क्षतिग्रस्त होकर पुल से अटकी पड़ी है, जो कभी भी किसी के छूने या पकडऩे के दौरान टूटकर नदी में गिर सकती है।
एसडीओ पुल निगम शहडोल डी.के.मारकाम ने बताया कि पूर्व में इसके प्रस्ताव भेजे जाने थे, लेकिन नहीं जा सका है। अब पुन: इसके लिए अधिकारियों से चर्चा कर आगे की कार्रवाई कराई जाएगी।

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