(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा)भारतीय सनातन धर्म के पर्व राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का कार्य करते हैं। चैत्र मास का नूतन संवत्सर, गुरु पूर्णिमा, वीर शिवाजी का हिन्दू राज्याभिषेक, रक्षा बंधन, विजयादशमी एवं मकर संक्रांति 6 प्रमुख पर्व हैं। जिनके माध्यम से देश सांस्कृतिक रुप से एक सूत्र में बंध जाता है।20 अक्टूबर , बुधवार को जिला मुख्यालय में अनूपपुर नगर के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्ण गणवेशधारी,अनुशासित स्वयंसेवकों का पथ संचलन संपन्न हुआ। जिसके पश्चात संघ कार्यालय परिसर में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्यवक्ता वाल्मीकि तिवारी ने उपरोक्त विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री तिवारी ने अपने सार गर्भित उद्बोधन में कहा कि कोई राष्ट्र केवल शास्त्र से बलशाली नहीं
होता।राष्ट्र को ताकतवर बनाने के लिये शस्त्र धारण करना आवश्यक है।शस्त्रों का उपयोग कब,कहां,क्यों करना है,इसके लिये शास्त्रों से तर्क सम्मत निर्णय क्षमता हमें प्राप्त होती है।यही कारण है कि सनातन धर्म में शस्त्र और शास्त्र दोनों का समान महत्व है। हमारे सभी देवी देवताओं ने समय आने पर दुष्टों के संहार के लिये शस्त्र धारण किया है। शस्त्र हमें मजबूत बनाते हैं। यदि आप मजबूत हैं तो समाज भी साथ खडा होता है। आज भारत मजबूत है,तो दुनिया भर के बड़े देश साथ खडे दिख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शक्ति से हममें समाज के कल्याण का भाव आता है। नव रात्रि के नौ दिन की उपासना से शक्ति की प्राप्ति होती है। विजयादशमी का पावन पर्व दसों दिशाओं से विजय की सूचना का पर्व है। इसी दिन आद्य सरसंघ चालक परमपूज्य डा. हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की गयी थी।
विजयादशमी के पावन उपलक्ष्य पर अनूपपुर नगर के स्वयंसेवकों ने बुधवार की सुबह संघ कार्यालय से पथ संचलन का आयोजन किया। कोरोना के कारण संघ के स्वयंसेवकों की भौतिक गतिविधियां सिर्फ कोरोना प्रभावितों की सेवा तक ही सीमित थीं। दो वर्ष बाद नगर में गणवेशधारी अनुशासित स्वयंसेवकों का यह पहला पथ संचलन था। जिला प्रचारक नीतेश जी के मार्ग दर्शन में स्वयंसेवकों ने संघ कार्यालय से इंदिरा चौक, शंकर मन्दिर चौराहा,सांई मन्दिर चौक,रेलवे फाटक, बिहारी कालोनी होकर पथ संचलन किया।यह वापस संघ कार्यालय पहुंच कर पूर्ण हुआ। इस आयोजन में नगर संघ चालक विवेक बियाणी, रामलाल रौतेल, मनोज द्विवेदी, राजेन्द्र तिवारी, दुर्गेश जी, पु़ष्पेन्द्र मिश्रा, राकेश अग्रवाल के साथ बहुत से स्वयंसेवकों ने आयोजन में हिस्सा लिया।
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