Anchadhara

अंचलधारा
!(खबरें छुपाता नही, छापता है)!

धोखाधडी एवं न्यास-भंग करने वाले आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका न्यायालय ने की निरस्त

 


(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) न्यायालय द्वितीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश रविन्द्र कुमार शर्मा की न्यायालय ने आरोपी आबिद हुसैन पिता रियायत अली, उम्र 49 निवासी भालूमाडा दफाई नं.03 थाना भालूमाडा, जिला अनूपपुर म.प्र. जमानत याचिका निरस्त की गई।
मीडिया प्रभारी राकेश पाण्डेय ने सहायक जिला अभियोजन अधिकारी कोतमा राजगौरव तिवारी के हवाले से बताया की मामला थाना कोतमा के अ.क्र.10/21 धारा 420, 409 भादवि से संबंधित है जिसमें ओंम केवल नेटवर्क, जिसमें फरियादीगण द्वारा 04-04 लाख रू की पूजी लगी थी, के विस्तार दिनांक 28/02/2004 को नोटरी के समक्ष उपस्थित होकर फरियादीगण एवं आरोपी आबिद हुसैन, सुमरेन्द्र दास एवं अन्य इकरारनामा निष्पादित कराया था। जिसमें सर्वसहमति से सुमरेन्द्र को ओंम केवल नेटवर्क को चलाने के लिए प्रबंधक नियुक्त किया गया था लेकिन आरोपी आबिद हुसैन ने ओम केवल नेटवर्क कंट्रोंल रूम जमुना कालरी को नष्ट कर राज केवल नेटवर्क कोतमा कालरी से आप्टिकल वायर से नेटवर्क चलाने लगा और नेवटर्क का लेखा जोखा, वसूली अपने हाथ में ले लिया एवं अक्टूबर 2015 तक अंश के हिसाब से लाभ का बटवारा नियमित होता रहा एवं नवम्बर 2015 से केवल नेटवर्क द्वारा लाभ को आरोपी आबिद हुसैन अपने राज नेटवर्क में खर्चा लगा रहा है बताया जा रहा है किन्तु फरियादी के द्वारा हिसाब-किताब करने की बात पर आरोपी द्वारा बोला गया कि अब सब समाप्त हो गया है, अब सब मेरा है जो करना है कर लो घमकी देता है जबकि इसके पूर्व भी वर्ष 2013 में फरियादीगण से सेटअप बाक्स के लिए नगद 2लाख-2लाख रू आरोपी आबिद हुसैन ने लिए थे उक्त संबंध मे फरियादीगण द्वारा आवेदन को पुलिस अधीक्षक के समक्ष लिखित शिकायत प्रस्तुत किया था जिसे थाना भालूमाडा द्वारा दर्ज कर मामले को विवेचना में लिया गया।
आरोपी ने यह लिया था आधार आवेदक द्वारा जमानत आवेदन में आवेदक को झूठा रंजिशन फसाया गया है आवेदक की चल एवं अचल संपत्ती अनूपपुर में उसे भागने एवं फरार होने की संभावना नही है उक्त अपराध के निराकरण में काफी समय लगने की पूर्ण संभावना है इसलिए जमानत का लाभ दिया जाए।
अभियोजन ने इस आधार पर किया था विरोध उक्त आवेदन पत्र अपर लोक अभियोजक शैलेन्द्र सिंह द्वारा जमानत आवेदन का इस आधार पर विरोध किया कि आवेदक के विरूद्ध प्रथम दृष्टतया आरोप निराधार होना तथा आवेदक को झूठा आलिप्त किया जाना प्रदर्शित नही होता है। उभयपक्षों के तर्को को सुनने के पश्चात माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए आरोपी की जमानत याचिका अंतर्गत धारा 438 द.प्र.स. निरस्त कर दिया।

Post a Comment

0 Comments