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उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि ने किसानों से पाले से फसलों को बचाने की कि अपील दिए दिशा निर्देश

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंचलधारा) उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास एन.डी. गुप्ता ने जिले के किसानों से पाले से फसलों को बचाने हेतु अपील की है। आपने बताया कि जब तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से नीचे उतर जाता है तब पाला पड़ने की संभावना हो सकती है। सर्दी के मौसम में सभी फसलों को थोड़ा नुकसान होता है। टमाटर, मिर्च, बैंगन आदि सब्जियों, पपीता एवं केले के पौधों एवं मटर, मसूर, चना, अलसी, सरसों, धनिया, अरहर, गेहूं तथा जौ फसलों को पाले के नुकसान से रोकने के लिए जिस रात पाला पड़ने की संभावना हो उस रात 12ः00 से 2ः00 बजे के आस-पास खेत की उत्तरी पश्चिमी दिशा से आने वाली ठंडी हवा की दिशा में खेतों के किनारे पर बोई हुई फसल के आसपास, मेड़ों पर रात्रि में कूड़ा-कचरा या अन्य व्यर्थ घास-फूस जलाकर धुआं करना चाहिए, ताकि खेत में धुआं हो जाए एवं वातावरण में गर्मी आ जाए। धुआं करने के लिए उपरोक्त पदार्थों के साथ थोड़ा जला हुआ ऑयल का प्रयोग भी कर सकते हैं। वायुरोधी टाटिया को हवा आने वाली दिशा की तरफ से बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगाएं तथा दिन में पुनः हटा दें। पाला पड़ने की संभावना हो तब खेत में सिंचाई करनी चाहिए। नमी युक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी रहती है तथा भूमि का तापमान कम नहीं होता है। इस प्रकार पर्याप्त नमी नहीं होने पर शीतलहर व पाले से नुकसान की संभावना कम रहती है। सर्दी में फसलों में सिंचाई करने से 0.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ जाता है। जिन दिनों पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनों फसलों पर गंधक का 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। इस हेतु 1 लीटर गंधक को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़काव का असर 2 सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर पाले की संभावना बनी रहे तो गंधक के छिड़काव को 15-15 दिन के अंतराल पर दोहराते रहे। सरसों, गेहू, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में गंधक का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में लौह तत्व एवं रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है, जो पौधों में रोगरोधिता बढ़ाने में एवं फसल को जल्दी पकाने में सहायक होती है। दीर्घकालीन उपाय के रूप में फसलों को बचाने के लिए खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी, एवं झाड़ी दार पौधे लगा दिए जाए, तो पाले और ठंडी हवा के झोंकों से फसल का बचाव हो सकता है। थायोयूरिया की 500 ग्राम मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर 15-15 दिन के अंतराल से छिड़काव करने से फसलों को पाले के नुकसान से बचाया जा सकता है। 

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