Anchadhara

अंचलधारा
!(खबरें छुपाता नही, छापता है)!

घायल बेजुबानों की नि:स्वार्थ सेवा कर रहे धेनु सेवा संस्थान के लोग प्रतिदिन घायल जानवरों का करते हैं इलाज

हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) स्वार्थ से भरी दुनिया में जब लोग किसी की बेवजह सहायता करना पसंद नहीं करते , तब ऐसे वक्त में नि: स्वार्थ समाज सेवा करते लोगों को
जुनून की हद तक कार्य करते देखना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। विगत दिवस अनूपपुर के इंदिरा चौक तथा सोन पुल के समीप दो अलग अलग हादसों में दो गायों को गंभीर चोट लगी। जिला मुख्यालय होने के बावजूद वेटनरी विभाग की पशु एंबुलेंस सूचना देने पर भी नहीं आयी। तब यहाँ के कुछ जागरूक लोगों ने संभागीय मुख्यालय शहडोल के धेनु सेवा संस्थान से संपर्क किया। संस्थान से जुडे लोगों ने अपने माध्यम से गायों का इलाज करवाया।

शहडोल जिले के आसपास हाईवे या अन्य मार्गों पर वाहनों से टकरा कर या कुचल कर गाय,बैल, बछडों के मरने, उनके बुरी तरह घायल होने की घटनाएं तेजी से बढी हैं। सरकारी अमला ऐसे मामलों ‌मे आंख - कान बन्द किये रहता है। पशु एंबुलेंस डाक्टरों के घरों की शोभा बढाते दिख जाएगें। इनका कोई लाभ मिलता नहीं दिखता।
ऐसे में बेजुबान जानवरों की पीड़ा को समझने का कार्य
धेनु सेवा संस्थान से जुडे युवाओं तथा वरिष्ठ समाज सेवियों ने किया है। सतगुरु सेवा से जुड़े आनंद मिश्रा, संतोष शुक्ला,सरिता बहन,ऋषि त्रिपाठी अहिमर्दन द्विवेदी, विनय पाण्डेय, वसुराज, अमन, श्रेष्ठा, शौर्य, शुभ, सुबोध, शिवी, वासु शुक्ला , यदु वासुदेव ,आव्या की टीम प्रतिदिन घायल गाय, बैल, कुत्ते, घोड़े के बच्चों की इलाज में जुटे देखा जा सकता है।
चारों पांव टूटी बछिया को भोजन कराने और बेड शोर से बचाने का उपाय का विषय हो या डाक्टर की मदद से किया गया बहुत ही क्रिटिकल ऑपरेशन जिसमें एक घायल गाय मां , जिनके पेट में बच्चा था, उन्हें इलाज़ के दौरान प्रसव होने लगा। तब काफी मुश्किलों के बाद मृत बच्चे को बाहर निकाला गया । गाय मां की हालात अच्छी नही थी उनका विशेष खयाल रख कर जीवन बचाने का मामला सभी घटनाओं में ये जुनून की हद तक जा कर सेवा करते दिख जाएगें।घायल जानवरों का इलाज अत्यंत कठिन तथा श्रम साध्य होता है। जिसमे बेजुबानों से अपनी रक्षा करते हुए उनका सही इलाज करना होता है।
अधिकांश मामलों में लोग सेल्फी ,फोटो सोशल मीडिया में शेयर करके या फोन करके अपना कर्तव्य पूरा हुआ मान लेते हैं। जबकि यह संस्थान घायल जानवरों का इलाज करके, उनकी नि: स्वार्थ सेवा को ही अपना कर्तव्य समझता है।
एक एक्सीडेंट के कारण गाय का कूल्हा डिसलोकेट हो जाने के बाद आनंद ,संतोष, बिन्नू की टीम ने गाय के देसी उपचार के लिये गांव के बुजुर्ग शरमन काका की मदद ली। घंटों मशक्कत के बाद गाय का कूल्हा सेट हो पाया। दुर्घटना में दो पांव खो चुके नंदी की ड्रेसिंग करना हो या उसके ठीक हो जाने पर आर्टीफिशियल लेग्स की व्यवस्था का कार्य सब कुछ कर्तव्य भाव से कर रहे हैं।
कोरोना के लाकडाउन में नगर मे जगह जगह सीमेंट के हौदे रखवा कर महीनों उसमे पशुओं के पीने के लिये पानी, चारा की व्यवस्था भी यह संस्थान करता रहा । धेनु सेवा संस्थान के नि: स्वार्थ सेवा भाव की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम ही लगती है।

Post a Comment

0 Comments