(हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जनता कर्फ्यू के बाद देश भर में लाकडाऊन लागू करने के बाद विपरीत परिस्थितियों में भी शहडोल सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह ने आम जनता के सुख दुख में निरंतर भागीदार रहते हुए सहयोग का हर संभव प्रयास किया है। कोरोना संक्रमण काल देश के अन्य हिस्सों की तरह शहडोल संसदीय क्षेत्र के लिये चुनौतियों भरा रहा है। सांसद, विधायक, जिला प्रशासन, मीडिया के बन्धुओं ने अपने अपने स्तर पर बढ चढ कर जन सहयोग की भावना बनाए रखते हुए कार्य किया। शहडोल सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह ने लाकडाऊन से पहले समय रहते दिल्ली से वापस आकर क्षेत्र में मोर्चा संभाला।राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, उत्तरप्रदेश में फंसे से क्षेत्र के लोगों की सूचना मिलते ही सांसद श्रीमती सिंह ने उनकी घर वापसी सुलभ करने का हर संभव प्रयास किया। यह सांसद, जिला प्रशासन शहडोल, अनूपपुर, उमरिया के समन्वित प्रयासों का नतीजा था कि सभी की सुरक्षित घर वापसी हुई।
सांसद हिमाद्री सिंह ने कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर एवं एस ई सी एल जमुना कोतमा के सहयोग से अति गरीबों को संरक्षित योजना " वी -- केयर " के तहत हजारों स्पेशल किट का वितरण किया। लगभग 500 रु के इस किट में हैण्ड वाश, साबुन , दाल, आटा, शक्कर,चावल ,आलू था। लाकडाऊन में जब लोगों की आय का रास्ता बन्द था तो दैनिक जरुरतों को पूरा करने की बडी समस्या थी। सरकार ने चावल, गेहूँ, राशि, गैस सिलेंडर तो मुफ्त दिया लेकिन अन्य जरुरी वस्तुओं की जरुरत सांसद ने महसूस की। यह उनकी मानवीय संवेदनशीलता का परिचायक है। लाकडाऊन के समय विभिन्न राज्यों से आने - जाने वाले हजारों लोगों के भोजन , राशन , सीमाओं तक पहुंचाने के लिये वाहनों की व्यवस्था के लिये सांसद एवं उनके पति नरेन्द्र मरावी को सुबह से देर रात तक महीनों काम करते देखा गया है।
बाहर से आने वाले श्रमिकों के कोरोना पाजिटिव आने पर विभिन्न जिला चिकित्सालयों, मेडिकल कालेज में उनके इलाज, परीक्षण की पूरी चिंता सांसद करती रहीं।
यह कम ही लोगों को पता है कि बमुश्किल एक वर्ष, पूर्व एक बेटी की मां बनने वाली सांसद हिमाद्री सिंह बिना कोरोना संक्रमण के खतरे की परवाह किये सोशल डिस्टेशिंग के उल्लंघन के खतरों के बीच अलग अलग कार्यक्रमों, बैठकों में शामिल होती रहीं। इस बीच उन्होंने अमरकंटक, बेनीबारी, करपा , राजेन्द्रग्राम ,जैतहरी, अनूपपुर , चचाई, कोतमा, पसान, बुढार, शहडोल, जयसिंह नगर, पाली, उमरिया का प्रवास किया। उनके निवास पर सुबह से देर रात तक क्षेत्र से मिलने आने वालों का तांता लगा रहता है। यह मानवीय संवेदना, सतर्कता, सावधानी का विषय है कि एक साल की छोटी बेटी को घर पर छोड कर वे सतत एक वर्ष से लोगों की सेवा में जुटी हुई हैं। कुछ लोगों को उनमें व्याप्त सरलता, विनम्रता के गुण, उनकी माता स्व श्रीमती राजेश नन्दिनी सिंह की तरह दिखते हैं ...तो उनकी बारीक समझ , सतत सक्रियता , साहस मे उनके पिता स्व दलवीर सिंह की झलक मिलती है। उनके कार्यकाल का एक साल उनके सतत संपर्क, सक्रियता, सहजता, सुलभता के नाम रहा है। उनकी निर्विवाद, निश्चछल कार्यशैली की सभी प्रशंसा कर रहे हैं।
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