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लोकसभा चुनाव मतदान के बाद ऑकलनो एवं अटकलों का दौर


                       (हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो
अनूपपुर (अंचलधारा) लोकसभा 2019 के चतुर्थ चरण का मतदान संपन्न हो गया भीषण गर्मी के बाद भी लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और उम्मीद से ज्यादा मतदान का प्रतिशत रहा। 2014 में हुए चुनाव की तुलना में इस बार मतदान का प्रतिशत काफी ज्यादा रहा उसमें प्रमुख कारण जो समझ में आता है कि नए नए मतदाता जो 18 साल की उम्र पूरी कर लिए उन्हें मत देने का अधिकार मिला जिससे मतदान का प्रतिशत बढ़ गया। मतदान होने के बाद प्रत्याशी सहित कार्यकर्ता कुछ दिनों की थकान दूर करने के लिए आराम की शैया में चले गए और आराम करने लगे। लेकिन सुबह होते ही जब लोगों ने मतदान का प्रतिशत जाना तो बस ऑकलन एवं अटकलों का दौर चालू हो गया। पान ठेला हो या चाय ठेला होटल या सैलून दुकान बस सब जगह जितने मुंह उतनी बात होने लगी। लोकसभा चुनाव के पूर्व यह कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार मतदान का प्रतिशत घटेगा लेकिन एकाएक मतदान के प्रतिशत ने पिछले लोकसभा चुनाव को किनारे कर दिया। नए युवाओं में नया जोश लोकतंत्र की एक नई कहानी लिखने जा रहा है इसका विमोचन 23 मई को शहडोल संसदीय क्षेत्र के समस्त मतदाता करेंगे। एक नया इतिहास लिखा जाएगा। चुनाव तो प्रशासन ने करा ही लिया अब ईवीएम की पेटियों को कड़ी सुरक्षा के बीच में मतगणना स्थल पर रखा गया है एवं आम लोगों के लिए भी वहां बैठने की व्यवस्था की गई है यही नहीं एल.इ.डी टीवी भी लगा दी गई है जिससे लोग अपनी नजर चारों ओर रख सकते हैं। ग्रामीण अंचलों में भी अच्छे मतदान की खबर निश्चित ही लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने का एक इशारा है। लोकतंत्र के महापर्व में सभी तरह के मतदाताओं ने अपना मत देना जरूरी समझा और पूरी तन्मयता के साथ सपरिवार पहुंचकर लोकतंत्र के इस त्यौहार को खुशी खुशी मनाने का कार्य किया। संसदीय क्षेत्र काफी बड़ा होने से प्रत्याशी हर जगह नहीं पहुंच सका लेकिन प्रशासन का संदेशा हर जगह पहुंच गया कि 29 मई को मतदान करना है सारे काम छोड़ दो सबसे पहले वोट दो। यह नारा गांव के अंतिम छोर तक पहुंच गया और लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। उम्मीदवार तो 13 मैदान में थे जिसमें 2 उम्मीदवारों का एक कांग्रेस तो एक भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया था। लेकिन यह ऐलान भी मात्र ऐलान ही रह गया क्योंकि यह ज्यादा से ज्यादा प्रचारित नहीं हो पाया इससे लोगों ने उनको भी मत दिया। अब 23 मई को पता चलेगा कि समर्थन देने वाले क्या सच में समर्थन देने का कार्य किए थे शहडोल संसदीय क्षेत्र में कार्यकर्ता इस बार दोनों ही पार्टी के नाराज नजर आए क्योंकि बिना पैसे के कोई भी कार्य करना नहीं चाहते थे। इस बार कुछ पार्टियों के एजेंट तो ग्रामीण अंचल में नजर ही नहीं आए उसका कारण पता लगाने पर पता चला कि बिना पैसे के कोई कार्यकर्ता काम करना नहीं चाहता। ऐसी विसंगतियों के चलते चुनाव भी रामभरोसे हो गए हैं चुनाव की गणित अब कोई समझ नहीं पाता और मतदाता भी मौन साध के बैठा रहता है। लोगों की सोच, भावना, मानसिकता काफी बदल गई है अब राजनीति स्थानीय स्तर पर ना होकर भोपाल और दिल्ली में होने लगी। जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर गया। पहले ऐसा नहीं होता था अब तो पैसा, राजनीति का हथियार हो गया है जिसके पास पैसा है उसके पास कुछ ना होते हुए भी बहुत कुछ है। इससे हकीकत में कार्य करने वाले वफादार लोग भी अपनी मानसिकता बदल देते हैं। इस चुनाव में यह भी देखने को मिला। जो भी स्वर्गीय दलबीर सिंह स्वर्गीय श्रीमती राजेश नंदिनी सिंह के काफी करीबी थे उन्होंने भी अपनी मानसिकता बदल कर हिमाद्री के पक्ष में मतदान किया। उन्हें कमल निशान से कुछ लेना-देना नहीं यह भी एक नई बात इस चुनाव में देखने को मिली। वहीं प्रमिला सिंह का भाजपा से कांग्रेस में आना इसको काफी लोग पचा नहीं पाए कि भाजपा से वह कांग्रेस में शामिल हुई और पार्टी आलाकमान पुराने लोगों की दावेदारी को नजरअंदाज कर उनको टिकट दे दिया जिससे काफी लोग निष्क्रिय हो गए। इसका आकलन तो पार्टी 23 मई के बाद ही कर पाएगी क्योंकि विजय श्री का खिताब तो किसी एक हाथ में आना हैं। अब ठीक 23 वें दिन स्थिति और परिस्थितियां सबकी नजरों के सामने हो जाएगी लेकिन अॅाकलन एवं अटकलों का बाजार अब 23 तक काफी गर्म रहेगा। जितने मुंह उतनी बातें कानों में सुनाई देगी। कान लोगों के पक जाएंगे। बाजियों का दौर शुरू हो जाएगा सफलता असफलता पर सबकी निगाहें रहेंगी। 23 मई का सबको बेसब्री से इंतजार रहेगा अब प्रत्याशियों को जहां दिल्ली दरबार के सपने आएंगे वहीं नरेंद्र मोदी एवं राहुल गांधी को लेकर अटकलों का बाजार भी गर्म रहेगा।

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