(हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) शहर सहित ग्रामीण अंचल में कोरोना महामारी फिर से तेजी से अपने पांव पसारने लगी है। जब लॉकडाउन लगा था तब लोगों ने घर से निकलने में परहेज किया था और जो भी नियम कायदे बताए गए थे उसका अक्षरशः पालन किया जा रहा था। लेकिन जैसे धीरे-धीरे छूट मिलने लगी तो लोगों के अंदर से अब वह डर और भय धीरे-धीरे समाप्त होने लगा और नियम पालन सब लोगों को बेकार लगने लगे हैं। यही वजह कि लोग खुद को वायरस की चपेट में ला रहे हैं। कोरोना वायरस की कोई दवा अभी तक नहीं बनी है फिर भी लोग लापरवाही करने से बाज नहीं आ रहे।इसके कारण आने वाले समय में लोगों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है। यह जानते हुए भी अच्छे पढ़े लिखे लोग भी घोर लापरवाही कर रहे हैं।अनूपपुर जिला आदिवासी क्षेत्र है और जब पढ़े-लिखे लोग नियमों का पालन नहीं करते तो आदिवासी गरीब वर्ग कहां से पालन करेगा।देखा जा रहा है कि लापरवाही इन दिनों बसों में यात्रा करने वाले लोगों के द्वारा की जा रही है। लोगों को लगातार जागरूक किया जा रहा है कि शारीरिक दूरी बनाकर रखें और मुख्य रूप से मास्क जरूर लगा कर रखें लेकिन बस में मुंह ढक कर नहीं रखा जा रहा है। बसों का परिचालन कोविड 19 के नियमों को ध्यान में रखते हुए बिल्कुल नहीं हो रहा है।इस वैश्विक महामारी से लड़ाई का कोई तरीका चिकित्सा जगत में दवा के रूप में अब तक नहीं आया है।केवल एहतियात ही बचाव का एक माध्यम रह गया है।जिस तरह वर्तमान में मौसम है वायरस तेजी से फैल रहा है और लोग भी संक्रमित हो रहे।शासन ने लोगों को छूट दे रखी है कि वह अपने दैनिक कार्यों को करें लेकिन सुरक्षित रहकर पर कुछ लोग ऐसे हैं कि जानबूझकर लापरवाही कर रहे हैं।अनूपपुर जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्र में वायरस फिर से पैर पसार रहा है मरीज मिलने शुरू हो गए हैं। ग्रामीणों को और सतर्क होने की जरूरत है क्योंकि यदि गांव में यह वायरस फिर से आ गया तो बहुत सारे लोगों को अपने आगोश में ले लेगा।आज देखा जा रहा है कि दूसरे जिलों से लेकर दूसरे राज्यों तक की बसें धड़ल्ले से चल रही है। इस कारण कोरोना के संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। अगर यात्री के पास सैनिटाइजर से लेकर फेस मास्क हो तो संक्रमण से बचा जा सकता है लेकिन लोगों की यह लापरवाही न जाने कितनों पर भारी पड़ रही है। बसों में सभी सीटों पर यात्रियों को बैठाने की अनुमति है, इसलिए सभी सीटों पर यात्री बैठने से शारीरिक दूरी के नियम का पालन नहीं हो पाता। ऐसे में मुंह पर मास्क और सैनिटाइजर ही एकमात्र बचाव का तरीका है लेकिन यात्री इसके प्रति गंभीर ही नजर नहीं आ रहे। किसी भी बस में यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग भी नहीं की जा रही एवं न हीं बसों का सैनिटाइजर किया जा रहा है ना ही किसी सीट का सैनिटाइजर किया जा रहा है।बस का सफर पूरी तरह खतरों से भरा है लेकिन किसी को समय नहीं कि इस और अपनी नजरें इनायत कर सकें। इसके कारण कोरोना वायरस संक्रमण फिर तेजी से फैलता ही जा रहा है। इसके लिए संबंधितो को जागरूक होने की आवश्यकता है।
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