(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) गांधीजी और नेताजी सुभाषचंद्र बोस के रास्ते अलग हो गए थे,मंजिल एक थी।उसे हासिल करने की निष्ठा पर सवाल नहीं था।वैचारिक मतभेद थे लेकिन परस्पर सम्मान-आत्मीयता शेष थी।एक दूसरे का सम्मान दोनों सदैव करते रहे दोनों का देश के लिए ओर आजादी की लड़ाई को लेकर कोई भेद नहीं था।आजकल जो लोग गांधी और नेताजी सुभाषचंद्र बोस को विरोधी बताते हैं दरअसल वो बांटने की मानसिकता वाले लोग हैं लेकिन इनकी कोई कोशिश कामयाब नहीं होगी।आजादी के नायकों को अलग करने वाले लोगों को जनता कभी माफ नही करेगी।
उक्त आशय के विचार राष्ट्रीय युवा संगठन के पूर्व प्रदेश संयोजक भूपेश भूषण ने राष्ट्रीय युवा संगठन द्वारा नेताजी सुभाषचंद्र बोस की125वी जयंती पर आयोजित विचार गोष्ठी में रखे। वरिष्ठ कार्यकर्ता ललित दुबे ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहा कि आज के नोजवानो को नेताजी के जीवन को आदर्श मानते हुए देश के लिए जीवन समर्पित करने की भावना के साथ काम करना चाहिए।उन्होंने बताया कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जीवन पर महात्मा गांधी के विचारों का बहुत प्रभाव था, भले ही आजादी की जंग में गांधीजी से उनके मतभेद रहे हों, लेकिन बोस ने ही गांधीजी सबसे पहले राष्ट्रपिता की उपाधि दी थी। 1938 और 1939 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस कांग्रेस अध्यक्ष भी बने। हालांकि, 1939 में महात्मा गांधी और कांग्रेस आलाकमान के साथ मतभेदों के बाद उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया औऱ पार्टी से अलग हो गए। जब सुभाष जेल में थे तब गांधीजी ने अंग्रेज सरकार से समझौता किया और सब कैदियों को रिहा करवा दिया। आजाद हिंद फौज के टुकड़ियों के नाम नेताजी द्वारा गांधी,नेहरू और रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर रखे थे। संगठन के प्रदेश संयोजन समिति के सदस्य व जिला संयोजक शिवकांत त्रिपाठी ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को याद करते हुए उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। संगठन के साथियों ने इससे पहले कार्यक्रम की शरूआत में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के चित्र पर माल्यार्पण कर विचार गोष्ठी को आरम्भ किया गया। इस अवसर पर संगठन के वरिष्ठ साथी राजेश मानव,चन्द्रशेखर सिंह, सुरेंद्र शिवहरे,मुन्नेलाल, सुषमा सिंह, विनय विश्वकर्मा, उषा सिंह, रोशलीन उरांव व अन्य साथी भी उपस्थित रहे।
उक्त आशय के विचार राष्ट्रीय युवा संगठन के पूर्व प्रदेश संयोजक भूपेश भूषण ने राष्ट्रीय युवा संगठन द्वारा नेताजी सुभाषचंद्र बोस की125वी जयंती पर आयोजित विचार गोष्ठी में रखे। वरिष्ठ कार्यकर्ता ललित दुबे ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहा कि आज के नोजवानो को नेताजी के जीवन को आदर्श मानते हुए देश के लिए जीवन समर्पित करने की भावना के साथ काम करना चाहिए।उन्होंने बताया कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जीवन पर महात्मा गांधी के विचारों का बहुत प्रभाव था, भले ही आजादी की जंग में गांधीजी से उनके मतभेद रहे हों, लेकिन बोस ने ही गांधीजी सबसे पहले राष्ट्रपिता की उपाधि दी थी। 1938 और 1939 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस कांग्रेस अध्यक्ष भी बने। हालांकि, 1939 में महात्मा गांधी और कांग्रेस आलाकमान के साथ मतभेदों के बाद उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया औऱ पार्टी से अलग हो गए। जब सुभाष जेल में थे तब गांधीजी ने अंग्रेज सरकार से समझौता किया और सब कैदियों को रिहा करवा दिया। आजाद हिंद फौज के टुकड़ियों के नाम नेताजी द्वारा गांधी,नेहरू और रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर रखे थे। संगठन के प्रदेश संयोजन समिति के सदस्य व जिला संयोजक शिवकांत त्रिपाठी ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को याद करते हुए उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। संगठन के साथियों ने इससे पहले कार्यक्रम की शरूआत में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के चित्र पर माल्यार्पण कर विचार गोष्ठी को आरम्भ किया गया। इस अवसर पर संगठन के वरिष्ठ साथी राजेश मानव,चन्द्रशेखर सिंह, सुरेंद्र शिवहरे,मुन्नेलाल, सुषमा सिंह, विनय विश्वकर्मा, उषा सिंह, रोशलीन उरांव व अन्य साथी भी उपस्थित रहे।
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